उसीर या खस के १८ चमत्कारी फायदे और उपयोग….

बहुत ही काम की और चमत्कारी 
ओषधि है- उसीरा...
★~ और जाने-खस एवं खसखस में अंतर
★~ उसीरा या खस के फायदे, गुणधर्म,
पहचान, उपयोग, उपचार, चिकित्सा।
आयुर्वेद की पुरानी और प्रामाणिक पुस्तक
भावप्रकाश निघण्टु के कर्पूरादि वर्ग: में उसीरा के बारे में बहुत विस्तार से बताया है।
उसीर के अन्य नाम...
वीरण, वीरतरु, वीर, बहुमूलक ये
खस केसंस्कृत नाम हैं।
यह एक तरह की घास है, जो कुश या
कुशा की तरह होती है।
वीरण की जड़ को उसीर, जलद,
अमॄणाल, सेव्य, समगन्धक, और
हिंदी या ग्रामीण अंचल में ख़श, खस
या उसीर, उशीरा बताया है।
भाषाभेद से नामभेद यानि अन्य भाषाओं में उसीर के नाम...
गुजराती में इसे कालाबलाना एवं
झाड़नमूल कहतें हैं।
मराठी में-कालावाला,
कन्नड़ में वालदवेस,
तेलगु भाषा में-अवरुगठठि
वद्दीबेल्लुनल्ल,
तमिल में-वेत्तेबेर,
लेटिन में-एंड्रॉपोगन म्यूरिकेटम (Andropogan muricatum)।
कुछ पुराने वैद्य लामज्जक, सुनाल, लव,
लघु, अवतादक घाटजारी, इंद्रबगई, कारांकुस,  आदि  को उसीर या
खस बताते हैं।
फारसी लोग गोखरू को
खारेखस के कलांखसकेकलां
कहते हैं, तो खस या उसीर होने का
भ्रम होता है।
उसीरा की तरह गोखरू भी पेशाब की बीमारियों में उपयोग किया जाता है।
उसीर या खस परिचय, पहचान-
यह वीरण घास की जड़ होती है।
उसीर किसी जलाशय, कूप, कुआं,
नदी तट के समीप की भूमि में दलदल
वाले स्थान पर अत्याधिक उत्पन्न होती है। यह 2 से 4 फिट ऊंचा एवं दृढ़ होता है।
इसी जड़ को खस और उसीर कहा
जाता है।
ख़श की जड़ जमीन के अंदर
2-2 फिट चली जाती है।
खस/khus एक जंगली औषधि है।
खस-उसीर का इस्तेमाल औषधि के
अलावा इसके पौधे की जड़ से परदे,
पंखे आदि भी बनाये जाते हैं।
गर्मी के दिनों में कूलर या खिड़की में
उसीरा की टटिया लगाकर पानी छिड़कते हैं, जिससे भीनी-भीनी खुशबू आती है।
ख़श की विशेषता यही है कि जल
की बौछार से मंद-मंद महकता है।
ख़स या उसिर का इत्र बहुत महकता है
एवं ठंडा होता है।
औषधीय व्यवहार में इसकी जड़,
तृण, मूल का उपयोग होता है।
पदार्थ– खस या उसीर में एक सुगन्धित उड़नशील तेल होता है। इसमें राल से लाल तथा भूरे से रंग का रंजक पदार्थ, लवण, चुना और लौह कण के कुछ योगिक मौजूद रहते हैं।
आयुर्वेद की एक बहुत ही प्रसिद्ध दवा उसीरासव में खस या उसीर मूल घटक है।
उसीर, खस के उपयोग, कार्य…
पाचनं शीतं स्तम्भनं लघु तिक्तकम्!
सुगन्धमधुरं ज्वर-पित्त-ग्रीष्मनाशनम्!! 
 
खस के 18 फायदे...
【१】उसीर-खस पाचनतंत्र यानि मेटाबोलिज्म ठीक रखने में सहायक है।
【२】ज्वर, पित्त और
शरीर की गर्मी, जलन दूर करता है।
【३】उसीरा की गन्ध से मन शांत होता है।
【४】पसीने की बदबू दूर करता है।
【५】उल्टी, वमन आना रोकता है।
【६】इसे श्रमहर अर्थात थकान मिटाने
के लिए अमृतम खस शर्बत का उपयोग करते हैं।
【७】बुद्धि, याददास्त तेज होती है।
【८】चेहरे को सुंदर बनाता है।
【९】स्त्रीरोगों में विशेष लाभकारी है।
【१०】उसीर चर्मरोगों को मिटाता है।
【११】उसीर पेशाब साफ लाता है।
【१२】त्वचा रोग एवं बच्चों के रोग
आदि को दूर करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
【१३】मूर्च्छा, अपस्मार, दिमागिन दवा है।
【१४】गठियावाय, पक्षाघात, लकवाग्रस्त रोगियों के लिए हितकारी है।
【१५】आंखों के रोग, बुखार,उल्टी, जलन, शुक्राणु विकार, पित्त की गर्मी आदि में खस/उसीरा अत्यंत उपयोगी है।
【१६】बुखार होने, उल्टी आने, खून
की खराबी, दस्त रोग, हृदय रोगों में असरदायक है।
【१७】खस के प्रयोग से धातुदोष
दूर होता है।
【१८】आधाशीशी और शिरःशूल में उसीरा-ख़श का एक ग्राम पावडर 1 ग्राम लोहवान/लोभान मिलाकर चिलम में
रखकर अथवा सिगरेट पिलाने या ध्रूमपान करने से तत्काल मिट जाता है।
खस/उशीरा तथा खसखस में फर्क जाने…खस के बारे में ऊपर बता दिया गया है।
क्या है खसखस?.….
खसखस को पोस्तदाना, पोस्ता, तिलभेद, खसतिल, खाखस, पोस्तार गाछ, कोकनार
कहतें हैं। लेटिन भाषा में खसखस का नाम
पपेवर सोमनिफेरूम/Papaver Somniferum linn. है।
हिंदी में खसखस को खसखस के दाने,
मदकारक, पोस्त के डोडे, गुजराती में-
अफीणना डोंडा नाम  वर्णित है।
खसखस अफीम पुष्प के दाने हैं।
■ दिमाग तेज और शांत करने के लिए
इसका हलुआ खिलाते हैं।
■ यह नींद अच्छी लाता है।
■ हलवाई मीठे में ऊपर से डालते हैं।
■ खसखस की सम्पूर्ण जानकारी अगले
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