अघोरी-अवधूत कहतें हैं-
भोग लगे या रूखे सूखे,
शिव तो हैं श्रद्धा के भूखे।
पहली बार एक दुर्लभ और रहस्यमयी
बातें जानेंगे इस ब्लॉग में……
किस देवता को क्या पसंद है-
सभी सनातन धर्मी जानते हैं कि हिन्दुधर्म
के 18 पुराण अट्ठारह देवी-देवताओं को समर्पित हैं।
इन सभी पुराणों में 108 से अधिक
देवताओं के बारे में उनकी शक्ति,
पूजा-विधान, वेद, बीजमन्त्र एवं नैवेद्य
आदि का विस्तार से वर्णन है।
शिवपुराण में भोले शिव के विषय में
गहन ज्ञान लिखा है।
स्कन्ध पुराण में भगवान कार्तिकेय
एवं मङ्गल के बारे में विस्तार से बताया है।
श्रीमद देवीभागवत में माँ की लीलाओं
का उल्लेख मिलता है।
किस देवता को क्या प्रिय है।
उन्हें कब, क्या अर्पित करें।
इनकी प्रिय वस्तु चढ़ाने से जीवन
में विशेष परिवर्तन होने लगता है
【१】शिवपुराण के अनुसार भगवान
शिव को जल प्रिय है। इसलिए शिंवलिंग
पर नित्य नियम से जल अर्पित करने
से सम्पत्ति तथा सन्तति की हानि नहीं होती।
ऐसे ही सभी उपनिषद, ब्राह्मण ग्रन्थ,
भाष्य, धार्मिक ग्रन्थों में विभिन्न जानकारियां उपलब्ध हैं।
【२】विष्णु को श्रृंगार बहुत भाता है।
【३】देवी माँ को स्वर्ण-आभूषण प्रिय हैं।
【४】महाकाली को मन्त्र प्रिय हैं।
【५】सरस्वती को संगीत प्रिय है।
【६】महालक्षमी को हवन प्रिय है।
【७】माँ अन्नपूर्णा को अन्न निर्माण
एवं भोजन की खुशबू प्रिय है।
【८】माँ दुर्गा को बलि प्रिय है।
【९】गायत्री को जाप प्रिय है।
【१०】श्रीगणेश को मोदक प्रिय हैं।
【११】कार्तिकेय को रक्तपुष्प,
रक्त चंदन एवं युद्धयंत्र प्रिय हैं।
【१२】शेषनाग को वेदों का गान प्रिय है।
【१३】नाग को माथे पर चन्दन का
त्रिपुण्ड और वायु प्रिय है।
【१४】श्रीराम को सच्ची भक्ति प्रिय है।
【१५】हनुमानजी को ध्यान, सेवा प्रिय है।
【१६】श्रीकृष्ण को गीत वाद्य यन्त्र प्रिय है।
【१७】सदगुरु को समर्पण प्रिय है।
【१८】अघोरियों को परिवर्तन प्रिय है।
【१९】अवधूतों को एकान्त प्रिय है।
【२०】आकाश को घर्षण प्रिय है।
【२१】जल को बहना पसंद है।
【२२】वायु को सुगन्ध प्रिय है।
【२३】अग्नि को ऊपर उठना प्रिय है।
【२४】प्रथ्वी प्रकृति को पर्यावरण प्रिय है।
पर्यावरण की रक्षा हेतु इसे भी पढ़ लेना
जब कभी फुर्सत मिले तो…
【२५】सूर्य को स्वास्थ्य प्रिय है।
【२६】चन्द्रमा को स्त्री श्रृंगार प्रिय है।
【२७】मङ्गल को युद्ध-झगड़ा प्रिय है।
【२८】बुध को अध्ययन-लेखन प्रिय है।
【२९】शुक्र को भौतिक सुख प्रिय है।
【३०】 शनि को संघर्ष प्रिय है।
【३१】राहु को अग्नि प्रिय है
【३२】केतु को नारियल जल, कुशा,
शिवभक्ति और ब्रह्मचारी साधु प्रिय हैं।
【३३】नक्षत्रों को प्रकाश प्रिय है।
जातियों की पसंद क्या होना चाहिए...
【३४】क्षत्री जाति को ताकत, शक्ति
और सबकी रक्षा करना प्रिय है।
【३५】ब्राह्मण को ज्ञान-ध्यान प्रिय है।
【३६】वैश्यों को धन प्रिय है।
इसलिए धन-सम्पदा,लक्ष्मी के मामले
में एक पुरानी कहावत भी है कि-
महादेव का एक हाथ दुनिया पर
और एक हाथ बनिया पर है।
【३७】शूद्रों को अन्न प्रिय होता है।
【३८】श्वान को वफादारी प्रिय है।
【३९】गाय को त्याग प्रिय है।
【४०】बैल को धर्म और सेक्स प्रिय है।
【४१】अश्व को स्फूर्ति, ऊर्जा प्रिय है।
【४२】हाथी को चरित्र प्रिय है।
【४३】शेर को न्याय का शिकार प्रिय है।
【४४】लोमड़ी को चालबाजी पसन्द है।
【४५】चूहे को चोरी प्रिय है।
ईश्वरोउपनिषद के मुताबिक-
साधक वैदिक विधान अनुसार
पूजन सामग्री अर्पित कर निमित्त
मन्त्र का जाप करने से जीवन में
शीघ्र ही सफलता मिलने लगती है।
विशेष स्मरणीय…
जाने चन्दन त्रिपुण्ड के फायदे
★ माथे को कभी सुना न छोड़े।
★ स्नान पश्चात मस्तिष्क पर प्रतिदिन
त्रिपुण्ड लगाने की आदत बनाएं।
★ त्रिपुण्ड लगाने से त्रिदोष, त्रिपाप,
तीन ताप नष्ट होते हैं।
★ धर्म-शास्त्रों में मस्तक पर चन्दन का
तिलक, त्रिपुण्ड लगाने से
108 प्रकार चमत्कारी लाभ होते हैं।
★ गरीबी के बादल छंटने लगते हैं।
★ चन्दन को पाप-विनाशनम कहा गया है।
चन्दन तिलक क्यों जरूरी है।
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अघोरी की तिजोरी से पाएं खजाना...
फिलहाल 54 दिन तक नियमित
राहुकाल में शिंवलिंग पर जल चढ़ाकर
एक दीपक अमृतम राहु की तेल का
जलाएं। और
!!ॐ शिवाय महातेजसे नमः!!
का एक माला रोज 54 दिन तक
जाप करें।
इसके चमत्कारी परिणाम से
आप हिल जाएंगे। जीवन में महान
परिवर्तन के लिए बस,
एक बार यह उपाय भी करके देखें!
बनारस के अवधूत महात्मा
कीनाराम जी कहतें थे-
सारा सन्सार शिव से दूर होने कारण
सन्ताप से घिरा है।
अतः शिव को साधो सब सधे,
सब साधे सब जाए।
कहा जाता है-
तू शिव को अगर बिसरा देगा, बिसरा देगा,
तो शक्ति कैसे पायेगा।
शिव नाम का अमृत पाए बिना,
धन-सम्पदा कैसे पायेगा।
चेहरे की सुन्दरता, खूबसूरती
बढ़ाने के लिए नीचे लिंक क्लिक
कर जाने उपाय।
देश अपना है…
तन-वतन दोनों की रक्षा के लिए
सर्वोत्तम इलाज है –चीनी कम।
अतः आत्मनिर्भर बनने पर जोर देे-
स्वस्थ्य रहने के लिए रोज सायकिल चलाएं
परिवार में किसी को डिप्रेशन में न जाने दें
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