स्वस्थ्य, शतायु रहने के लिए-भस्मों
का उपयोग आवश्यक है-
जीर्ण-शीर्ण, असाध्य तथा अज्ञात
बीमारियों का आयुर्वेद में जड़ीबूटियों,
क्वाथ, काढ़ा चूर्ण, चटनी, माल्ट,
सिरप के अलावा रस-भस्मों से
उपचार किया जाता है।
आयुर्वेद के प्राचीन सन्दर्भ शास्त्र-
आयुर्वेदिक संस्कृत के प्राचीन अमृतम
ग्रन्थ जैसे- अनुपान तरंगिणी, निघण्टुरत्नाकर, बृहद-योगतरंगिणी,
बंगसेन सहिंता तथा रसतन्त्र सारः
व सिद्ध योगसंग्रह प्रथम खण्ड के
भस्म प्रकरण में लिखा है कि-
भस्मों की कसौटी और परखने के लिए
शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गन्ध,
धूम, चंद्रिका, पुनर्भव, लघुत्व,
स्थिरत्व, सूक्ष्मत्व और विद्र्वता ये 12 बारह तरीके हैं।
महाभारत में बताया है भस्मों का असर.…
रोप्य/चण्डी, नाग/शीशा, ताम्र/ताँबा,
शतपुटी बनाने पर ही शास्त्र दर्शित
पूरा पूरा लाभ पहुंचाता है। एवं
अभ्रक भस्म सहस्त्रपुटी बनाने पर
उससे दिव्य गुण की प्राप्ति होती है।
आयुर्वेद की अमृतम ओषधि अभ्रक सहस्त्रपुटी भस्म के सेवन का वर्णन
महाभारत में भी मिलता है।
अभ्रक भस्म सहस्त्रपुटी के उपयोग से
@ भीष्मपितामह की आयु १७५ वर्ष,
@ गुरुद्रोणाचार्य की १२५ वर्ष,
@ श्रीकृष्ण भगवान की ८९ वर्ष,
@ धनुर्धर अर्जुन की ८७ वर्ष और
@ भीमसेन की आयु ९१ साल थी।
त्रिदोष के असन्तुलन होने तथा
वातवाहिनियों निर्बलता में
स्वर्णयुक्त गोल्ड भस्म मिश्रित
योग/दवाएँ तुरन्त लाभ पहुंचाती हैं।
यह बल, बुद्धि, प्रज्ञा, वीर्य, स्मृति,
कान्ति वर्द्धक होती हैं।
अमृतम गोल्ड माल्ट के सेवन से
रोगप्रतिरोधक क्षमता अर्थात इम्युनिटी
पॉवर में वृद्धि होती है।
इसमें अनेक भस्मों का उपयोग
विशेष अनुपात में किया है।
जैसे-अभ्रक भस्म सर्दी, खांसी, जुकाम,
फेफड़ो के संक्रमण, सांस लेने में दिक्कत,
कम उम्र में बुढापे के लक्षण आदि समस्याओं का अंत करने में सहायक है।
अमृतम गोल्ड माल्ट में स्वर्ण भस्म
का मिश्रण है, जो वात, पित्त, कफ को सन्तुलित कर शरीर को शक्ति, बल, बुद्धि
प्रदाता है। स्वर्ण भस्म बुढ़ापा आने से रोकती है।
महिलाएं इसे 3 से 6 महीने लगातार
लेवें, तो उम्र कम दिखाई देने लगती है।
माहवारी की समस्याओं को दूर करने में अमृतम गोल्ड माल्ट इसलिए कारगर है क्योंकि इसमें स्वर्ण भस्म, स्वर्णमाक्षिक भस्म का सन्तुलित समावेश है।
इसे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तथा युवा
स्त्री-पुरुषों को भी दिया जा सकता है।
अमृतम गोल्ड माल्ट का सम्पूर्ण फार्मूला
अमृतम की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
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