क्या मोटापा घटाता है- एलोवेरा!

जाने ८०/अस्सी फायदे और विशेषता
ग्वारपाठा या एलोवेरा देखने में यह अवश्य अजीब सा पौधा है लेकिन इसके गुणों का
कहीं कोई अंत नहीं है।
】ग्वारपाठा चेहरे की गन्दगी दूर
कर सुंदरता, रौनक वृद्धिकारक एक
प्राकृतिक ओषधि है। एलोवेरा के
और भी अनेक फायदे हैं।
】खून को साफ करने वाला
ग्वारपाठा/एलोवेरा रक्त दोषों में एक चमत्कारी उपचार है।
】आयुर्वेद के प्रामाणिक ग्रन्थ भावप्रकाश निघण्टु के अनुसार महिलाओं के मासिक चक्र को नियंत्रित करने के कारण संस्‍कृत में इसे ‘’कुमारी’ कहा जाता है।
एलोवेरा को संस्कृत में घृतकुमारी क्यों कहते हैं। इसके बारे संस्कृत में श्लोक है-
कुमारी गृहकन्या च कन्या घृतकुमारिका।
कुमारी भेदनी शीता तिक्ता नेत्र्या रसायनी।।
मधुरा बृहणी बल्या वृष्या वातविषप्रणुत्।
गुल्मप्लीहयकृद्वृद्धिकफज्वरहरि हरेत्।।
ग्रन्थ्यग्निदग्धविस्फोटपित्तरक्तत्वगामयान्।।
अर्थात-
घृतकुमारी अनेकों नाम वाली एक अमृत
ओषधि है। इसे कुमारी, कुंवारी, घृतकुमारी, गृहकन्या, कन्या, घृतकुमारिका, घीकुवार
कहतें हैं।
【५】एलोवेरा के के सेवन से बुढापा जल्दी नहीं आता।
एलोवेरा सदैव जवान बनाये रखता है। कुमारावस्था बनाये रखने कारण इस चमत्कारी बूटी को आयुर्वेदिक ग्रन्थ भावप्रकाश एवं अर्कप्रकाश में इसे घृतकुमारी कहा गया है
【६】घृतकुमारी मल अर्थात स्टूल
को भेदन करने वाली अर्थात जिनका
मल सूख गया हो, उसे गलाकर पखाने
द्वारा बाहर निकाल देती है। जिससे
कब्ज दूर होकर पेट पूरी तरह साफ
हो जाता है।
आयुर्वेद का सर्वश्रेष्ठ टॉनिक
 में घृतकुमारी एक्सट्रेक्ट
मिलाया गया है। यदि 3 माह नियमित
लेवें, तो यह पित्तदोषों को भी सन्तुलित करता है।
【७】गुल्म, पीलिया, यकृत वृद्धि,
लिवर डिसीज आदि उदर की तकलीफों
को जड़ से मिटाती है।
【८】 पित्तदोष, विष को हरती है।
【९】नेत्र रोग एवं आंखों की सभी
बीमारियों में एलोवेरा तथा यशद भस्म
से बहुत लाभ होता है। इन दोनों को
आईकी माल्ट  EYEKEY Malt में 
मिला हुआ है।
【१०】नेत्र्याअभियंद यानि मोतियाबिंद
या कम दिखने में उपयोग करते हैं।
【१०】कफ से उत्पन्न ज्वर का नाशक है।
【११】 एलोवेरा के साथ टंकण भस्म,
कालीमिर्च पावडर मिलाकर लेवें, तो
पुरानी सर्दी-खांसी-जुकाम मिट जाता है।
लोजेन्ज माल्ट भी कारगर है।
【१२】यह आयुर्वेद का बलकारक रसायन होने से बी फेराल गोल्ड माल्ट में डालते हैं।
B Feral Malt
【१३】किसी भी तरह के वातावरण में
जन्मे वातरोग को दूर करती है।
तुरन्त फायदे के लिए एलोवेरा से निर्मित
【१४】एलोवेरा गूदा को हरिद्रा यानि
हल्दी के साथ मिलकर लगाने से संधिशोथ,
ग्रंथिशोथ/थायराइड में फायदेमंद है।
【१५】एलोवेरा सूजन, चोट, दर्द नाशक है।
 【१६】आधाशीशी, सिरदर्द में ग्वारपाठा
गूदे में थोड़ी मात्रा में दारु हल्‍दी (दारुहरिद्रा) का चूर्ण मिलाकर इसे गर्म करके दर्द वाले स्‍थान पर बांधें।
【१७】एलोवेरा से वात और कफ से होने
वाले सिरदर्द में लाभ होता है।
【१८】अग्निदग्ध अर्थात आग से जलने पर एलोवेरा लगाने से फफोले नहीं पड़ते।
【१९】विस्फोटक, पित्त, रक्तविकार, चर्म
व त्वचारोगों एलोवेरा में सेंधानमक, हल्दी
मिलाकर लगाने से नाश कर देता है।
【२०】एलोवेरा के स्वरस का बाहरी लेप
करने से चर्मरोग दूर होते हैं।
【२१】स्त्रीरोगों में जैसे-आनार्तव, पांडुरोग यानि खून की कमी, बिबन्ध अर्थात कब्ज
में कच्चा एलोवेरा गूदा देने से लाभ होता है।
【२२】एलोवेरा देह की जलन मिटाता है।
【२३】घृतकुमारी के रस की 1-2 बूंद
बन्द नाक में डालने से भी लाभ होता है।
【२४】घृत कुमारी/एलोवेरा मधुमेह/डाइबिटीज के उपचार में अत्यन्त कारगर है।
【२५】 यह मानव रक्त में बसा यानि लिपिड का स्तर काफी घटा देता है।
लिपिड क्या है...
लिपिडएक वसायुक्त पदार्थ होता है, जो
पित्तसांद्रव {कोलेस्ट्रॉल} के रूप में शरीर
में मौजूद होता है। रक्त में इसकी मात्रा
सामान्य से अधिक होने पर यह धमनियों
में जमकर ब्लॉकेज पैदा करता है।
जिससे रक्तसंचार अवरोध होकर ह्रदय
को प्रभावित करता है।
【२६】घृतकुमारी मस्तिष्क को ठंडक, शीतलता प्रदान करती है। इसी गुणवत्ता
की वजह से विशेष ब्रेन टॉनिक
ब्रेन की गोल्ड माल्ट एवं टेबलेट में
एलोवेरा का मिश्रण किया है।
【२७】तिक्त/तीखी, मधुर रसयुक्त होती है।
【२८】10 मिलीग्राम घृतकुमारी के रस में
एक ग्राम हल्दी चूर्ण मिलाकर सेवन करें,
तो तिल्‍ली वृद्धि तथा अपच रोग में लाभ होता है।
【२९】आयुर्वेद के मतानुसार ग्वारपाठा कडुवा, शीतल, रेचक और विषनाशक
होने से शरीर के सब रोग हर लेता है।
【३०】आयुर्वेद की प्रमुख दवायें जैसे घृतकुमारी अचार, कुमारीआसव,
कुवारी पाक, चातुवर्गभस्म,
मंजिष्ठादि तेल (खुजलिनाशक)आदि
इसके मुख्य उत्पाद है।
【३१】सौंदर्य प्रसाधन सामग्री के निर्माण
में भी एलोवेरा का उपयोग विशेष रूप में किया जाता है।
【३२】त्वचा में चमक, स्किन में नवीनता
लाने के लिए ग्वारपाठा का इस्तेमाल
पौराणिक काल से ही हो रहा है।
 【३३】कर भला, तो हो भला….
बंजर भूमि में पैदा होने वाली यह
ओषधि रोग मिटाने के साथ-साथ
बंजर जमीन को भी उपजाऊ बना
देती है।
【३४】आयुर्वेद सारः संग्रह 
नामक पुस्तक में घृतकुमारी के 90 से अधिक फायदे लिखे हैं-
एलोवेरा के सेवन से गुल्म, परिणाम शूल, यकृत-प्लीहा, नलाश्रित वायु, मेदोवायु, जुकाम, श्वांस, दमा, खांसी, अग्निमांध, कफ, मंद ज्वर, पुराना ज्वर, आंतरिक कमजोरी,
 【३५】अपस्मार, स्मृतिनाश में उपयोगी।
【३६】मूत्रकृच्छ, शुक्रदोष, नपुंसकता,
शीघ्रपतन, धातु परिवर्तक, मज्जावर्धक, कामोद्दीपक, कृमिनाशक है।
【३७】अश्मरी यानि पथरी काट देता है।
【३८】कृमिरोग, चर्मरोग, रक्तपित्त,
मुहांसे आदि रक्तविकारों में ग्वारपाठा लाभदायक है।
【३९】अनुपान भेद से यदि एलोवेरा के साथ
अमृतम  गुलकन्द या जाए, तो वर्षों पुरानी कब्जियत मिटा देता है।
【४०】सर्दी-खांसी में एलोवेरा के
साथ हल्दी, अमृतम त्रिकटु चूर्ण
मिलाकर लेने से लाभ होता है।
【४१】मानसिक विकारों में एलोवेरा के साथ शुद्ध मधु  या अमृतम मधु पंचामृत
लेना हितकारी होता है।
 【४२】शरीर में कहीं भी दर्द हो, तो एलोवेरा, निर्गुन्डी, सहजन, हरश्रृंगार
को एरण्ड तेल, अलसी तेल में पकाकर
इस तेल की मालिश से दर्द में लाभ होता है।
इस तरीके से बना ऑर्थोकी पैन ऑयल
भी कारगर है।
【४३】सूजन, मोंच, चोट आदि में
अदरक, हल्दी, एलोवेरा  में पिसीहल्दी, नमक मिलाकर लगाना फायदेमंद है।
【४४】बीस प्रकार के प्रमेह, मधुमेह, उदावर्त, मधुमेह रोगियों को एलोवेरा के
साथ एलुआ और गुड़मार मिलाकर खाने
से एक माह में डाइबिटीज जड़ से साफ हो जाती है।
【४५】अम्लपित्त, एसिडिटी, संग्रहणी,
पेटदर्द  इत्यादि उदररोग शांत होते हैं।
वातविकार और बवासीर आदि
समस्त बीमारियां नष्ट होती हैं।
【४६】एलोवेरा के संग अमलताश गूदा
मिलाकर रात को सोते समय लेने से
अम्लपित्त या एसिडिटी का जड़मूल से
नाश हो जाता है।
【४७】एलोवेरा उदर रोगनाशक दवा है।
 【४८】एलोवेरा नवीन रक्ताणुओं का निर्माण कर खून बढ़ाता है।
【४९】पुराने प्लीहा रोग और लिवर की
खराबी में एलोवेरा युक्त कीलिव माल्ट
विशेष उपयोगी है।
【५०】स्त्रियों के रोग 
जैसे-मासिक धर्म कम होना,
दर्द से होना या न होना,
शक्तिक्षय, गर्भाशय के दोष,
आर्तव की शुद्धि कारगर है।
【५१】महिलाओं के शरीर में दर्द थायराइड आदि से छुटकारा पाने के लिए ऑर्थोकी गोल्ड माल्ट एवं कैप्सूल 3 महीने तक लेना लाभदायक है।
【५२】दर्द के स्थान पर ऑर्थोकी पैन ऑइल की मालिश करें। आधा घण्टे धूप में बैठें, तो तन में विटामिन डी की पूर्ति होती है।
【५३】चेहरे की सुंदरता बढ़ाने के लिए एलोवेरा गूदे में नागकेशर, कालीमिर्च, सारिवा, मुल्तानी मिट्टी मिलाकर लगाना चाहिए।
【५४】एलोवेरा, केशर युक्त अमृतम कुंकुमादि फेस ऑयल विशेष बहुमूल्य आयुर्वेदिक तेलम है।
【५५】फेस को चमकने हेतु अमृतम
फेस क्लीनअप, अमृतम हर्बल उबटन
की सम्पूर्ण जानकारी वेबसाइट पर
आराम से पढ़कर आर्डर करें।
【५६】एलोवेरा युक्त बिना झाग वाला अमृतम फेस वॉश बहुत ही चमत्कारी है।
【५७】ग्वारपाठा में 12 विटामिन, 18 धातु, 15 एमीनो एसिड और  मौजूद होते हैं। 【५८】एलोवेरा की तासीर गर्म होती हैं।
【५९】एलोवेरा खाने में बहुत पौष्टिक
होता है। इसे त्वचा पर लगाना भी उतना
ही लाभप्रद होता है।
【६०】एलोवेरा की कांटेदार पत्तियों को छीलकर एवं काटकर गूदा रस निकाला जाता है।
【६१】1 या 2 चम्मच रस सुबह खाली
पेट मधु के साथ लेने से मोटापा कम होकर
चर्बी घटने लगती है।
【६२】ग्वारपाठा सुबह ख़लीपेट लेने
से पूरे दिन शरीर में शक्ति, चुस्ती-स्फूर्ति
बनी रहती है।
 【६३】ग्वारपाठा/एलोवेरा
अर्श-बवासीर (पाइल्स),
मधुमेह/डायबिटीज,
महिलाओं में गर्भाशय के रोग,
पेट की परेशानी, जोड़ों का दर्द,
त्वचा की खराबी, मुंहासे,
रूखी त्वचा, धूप से झुलसी त्वचा,
झुर्रियों के निशान, चेहरे के दाग-धब्बों, आंखों के काले घेरों,
फटी एड़ियों के लिए यह लाभप्रद है,
वहीं दूसरी तरफ यह खून की कमी
को दूर करता है तथा शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
【६४】आयुर्वेद के हर योग में
इसका उपयोग किया जाता है।
100 से अधिक ओषधि बिना
एलोवेरा के बन पाना मुश्किल है।
【६५】आयुर्वेदिक रस-भस्म में
एलोवेरा रस की भावना देकर इसे
और अधिक असरकारी बनाते हैं।
【६६】दाद-खाज-खुजली या दर्दनाशक तेलों में एलोवेरा को मिलाकर मंदी आग में पकाते हैं।
【६७】उदर रोगों की सर्वश्रेष्ठ ओषधि कुमारीआसव में ग्वारपाठा मूल घटक है।
【६८】एलोवेरा संपूर्ण शरीर का
कायाकल्प करता है।
इसके कण-कण में सुंदर एवं स्वस्थ
रहने के अनेकों रहस्य छुपे हुए हैं।
इस खजाने को पाने व इसे अपनाने
के लिए बस, आपके वक्त की जरूरत है।
【६९】पुराने समय में पुत्रवान महिलाएं
गर्भ के निशान या स्ट्रेच मार्क्स मिटाने
के लिए ग्वारपाठा का उपयोग करती थी।
【७०】कटी, छिली और जली हुई त्वचा
ठीक करने के लिए एलोवेरा से निर्मित
स्किन केयर उत्पादों उपयोग करते हैं।
【७१】अग्निदग्ध, आग से जलने पर
जली हुई त्वचा के लिए ग्वारपाठा
गूदे/रस/लार के गुण अतुलनीय हैं।
【७२】ग्वारपाठा के गूदे में प्रज्जवलन
कम करने गुण समाहित हैं।
【७३】जलने के तुरंत बाद लगाएं, तो
एलोवेरा का ठंडक प्रदान करने वाला गुणतत्व जलन से तुरन्त राहत देता है।
【७४】आग से जलने के कारण त्वचा
की खराब कोशिकाओं पर पनपने वाले बैक्टीरिया और अन्य बाहरी जीवाणुओं
को मारकर उत्तकों/टिश्यू की स्वस्थ वृद्धि
को बढ़ावा देकर मरम्मत करने में एलोवेरा का कोई मुकाबला नहीं है।
【७५】यह त्वचा में पोषक प्रदान करने की क्षमता रखता है।
【७६】घृतकुमारी नई कोशिकाएं बनाने
में, स्किन की मरम्मत में मदद कर ठीक
करने की प्रक्रिया तेज करता है।
【७७】एक चम्मच एलोवेरा रस रोज
सुबह खाली पेट खाने से पेशाब का
संक्रमण यानि यूरीन इन्फेक्शन और
जलन में फ़ायदा होता है।
【७८】गर्मी के समय कड़क तेज धूप
में निकलने से पूर्व ग्वारपाठा का रस
चेहरे पर लगाने से त्वचा पर सनबर्न
का कम असर पड़ता है।
【७९】सुबह खाली पेट एलोवेरा का
ताजी रस/जूस रोज नियमित लेने से
 ब्लड कोलेस्ट्रोल कम होता है।
 ग्वारपाठा में मौजूद बीटा सिस्टेरॉल
नामक तत्त्व से होता है, जो हार्ट डिजीज
से बचाव में सहायक है।
【८०】एलोवेरा में खूबसूरती बढ़ाने वाले कई तत्व पाए जाते हैं। इसीलिए कई सौंदर्य
प्रसाधनों में इसे मिश्रित किया जाता है।
आइए, जानते हैं एलोवेरा के इस्तेमाल 
से होने वाले ८-आठ सौंदर्य फायदे-
!~ ग्वारपाठा का गूदा होंठों/लिप्स को
नरम, मुलायम, सुंदर बनाता है-
!!~घृतकुमारी में थोड़ा सा सेंधानमक,
नागकेशर एवं जैतून का तेल  मिलाकर
इसे लिप बाम की तरह इसका उपयोग
कर सकते हैं।
!!!~ थकान कम कर आंखों को ठंडक
देता है- यदि नेत्रों आंखों में थकान हो,
तो आप ग्वारपाठा के गूदे में यशद भस्म मिलाएं और आंखों के आस-पास लगाकर सूखने दें। तुरन्त लाभ होता है।
!v~ एलोवेरा जेल से नियमित चेहरे
की मसाज करने से आपको झुर्रिया
कम होती दिखेंगी।
v~  इसमें पर्याप्त विटामिन-ई होने से यह रूखे, कटे-फटे होठों पर इसे लगाने से होंठ
मुलायम और पूरी तरह से ठीक हो जाते है।
v!~ स्किन पर उत्पन्न रैशेस को मिटाता है-
कई बार वेक्सिंग, थ्रेडिंग, प्लकिंग आदि
कराने से त्वचा पर लाल धारी आ
जाती हैं। ग्वारपाठा रस लगाने पर कम
हो जाती हैं।
v!!~ चेहरे पर झुर्रियां आने से रोकता है-
घृतकुमारी/एलोवेरा में उम्र रोधी अर्थात
एंटी एजिंग तत्व पाए जाते है, जो
फेस पर दाग-धब्बे, झुर्रियों एवं
फ़ाइन-लाइंस उत्पन्न नहीं होने देते।
v!!!~ एक विशेष केशवर्धक प्रयोग
 ग्वारपाठा/एलोवेरा में विभितकी,
 भृङ्गराज, मेहंदी मिलाकर बालों में
 लगाकर एक घण्टे तक सूखने दें।
 यह तरीका बालों को लम्बा, घना,
 सुंदर बनाता है। आपके बाल चमकदार
व स्वस्थ हो जाएंगे।
अन्य भाषाओं में घृतकुमारी/एलोवेरा 
के विभिन्न भाषाओं में इसके 35 नाम वर्णित हैं-
हिंदी में- घीकुवार, ग्वारपाठा, घिग्वार,
कारपाठी
बंगला में- घृतकुमारी
मराठी में- कोरफड़, कोरकाण्ड
गुजराती में- कुंवार
कन्नड़ भाषा में- लोलिसर
तेलगु में- कलबन्द
तमिल में- कत्ताले
फारसी में- दरखते सिब्र
अरबी में- तसब्बार अलसी
नेपाली- घ्यूकुमारी (Giukumari)
पंजाबी में – कोगर (Kogar),
कोरवा (Korwa)
मलयालम में- छोट्ठ कथलाइ
(Chotthu kathalai)
लेटिन भाषा में- Aloe barbadensis mill.
एलोवेरा गूदे को कुमारीसार-एलुआ,
मुसब्बर, कालबोल, एलिया, मोसब्बर, एलियो, शबयार एवं अंग्रेजी में कॉमन इंडियन एलो क्वारगंदल आदि
कहतें है।
आयुर्वेद का ऐसा कोई  प्राचीन ग्रंथ
नहीं है, जिसमें एलोवेरा का नाम न हो।
दादी-नानी के नुस्खे, घरेलू उपायों की किताबों में भी घृतकुमारी के
हजारों बेनिफिट बताये हैं।
ईसाई धर्म के पवित्र ग्रंथ बाइबल में
वर्णित अलो और अलो वेरा में एलोवेरा
से कोई संबंध है।
अजन्ता एलोरा से भी ज्यादा
प्रसिद्ध है-एलोवेरा
एलोवेरा सम्पूर्ण भारतवर्ष में आसानी से मिल जाता है। एलोवेरा एक मात्र ऐसी जड़ीबूटियों में गिनी जाती है, जिसे देश-दुनिया जानती है।
एलोवेरा से बच्चा-बच्चा परिचित है।
इसका क्षुप छोटा 2 से 3 फिट ऊंचा
और पत्ते हरे, मासलयुक्त होता है।
घृतकुमारी के अंदर घी जैसा गूदा रहता है।
इसमें रक्तताभ पीत पुष्प आते हैं।
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के समुद्री किनारे का एलोवेरा सर्वश्रेष्ठ होता है। 
आयुरवेद के गुडुच्यादी वर्ग में इसका
उल्लेख मिलता है।
एलोवेरा के पौधे (Aloe plants) की देखभाल भी बहुत ज्यादा नहीं करनी
पड़ती। एलोवेरा के पत्तों को काटने से
पीले रंग का पिच्छिल तरल रस निकलता
है। जिसे संग्रह/एकत्रित करके गाढ़ा कर
लेते हैं। शीतल/ठंडा होने पर वह जम
जाता है जिसे एलुआ कहते हैं।
एलुआ बेहतरीन बवासीर नाशक
ओषधि है। यह पुराने से पुराने अर्श
के मस्सों को सुखा देता है।
एलोवेरा सम्पूर्ण स्वास्थ्यवर्द्धक ओषधि है।
एलोवेरा को स्किन/ त्वचा और बालों
 के लिए अत्यन्त फलदायक है।
सन्दर्भ ग्रंथ-पुराण, पुस्तकों के नाम
◆ काश्यप सहिंता
◆ गुनरत्नमाला
◆ निघण्टु आदर्श
◆ भारतीय वनौषधि
◆ यूनानी द्रव्यगुण विज्ञान
◆ वनस्पति परिचय
◆ वनौषधि चन्द्रोदय
◆ वानस्पतिक अनुसन्धान दर्शिका १९६६
◆ शारंगधर सहिंता की वनस्पतियां
◆ आयुर्वेद सार संग्रह
◆ भावप्रकाश निघण्टु
◆ संदिग्धनिर्णय वनौषध शास्त्र
◆ सौश्रुत निघण्टु:
◆ अयुर्वेदिक फार्मूलेशन ऑफ इंडिया-AFI
◆  स्टेंडर्ड सायक्लोपीडिया ऑफ हार्टिकल्चर, वोल्युम-१/३ न्यूयार्क १९४७. By- LH bailey
◆ आयुर्वेदिक निघण्टु
◆ चरक सहिंता
◆ माधव निदान
◆ भेषजयरत्नाकर
◆ द्रव्य-गुण विज्ञान
◆ अमरकोश
◆ अमृतम मासिक पत्रिका अगस्त-08
◆ अष्टांग संग्रह सहिंता
◆ वनौषधियों का वर्गीकरण
◆ आयुर्वेद का वैज्ञानिक इतिहास
◆ आयुर्वेदोक्त औषध निरुक्तमाला
◆ ओषधि संग्रह मराठी
◆ रस-तन्त्र सार: व सिद्धप्रयोग संग्रह
◆ राजनिघण्टु
एलोवेरा से नुकसान….
★~ घृतकुमारी के अधिक सेवन से
शरीर में बदबू आने लगती है।
 ★~ इसका रस या जूस ताजी बनाकर
ही इस्तेमाल करें।
★~ बाजार में बिकने वाला एलोवेरा जूस अत्याधिक रसायनिक एवं केमिकल युक्त होता है, जिससे शरीर को नुकसान पहुंच सकता है।
जैसे-आप सब्जी या दाल को 1 या 2 दिन
के बाद उपयोग नहीं कर सकते क्योंकि
वह भुस जाती है, उसमें बदबू आने लगती है। वह दाल या सब्जी खाने योग्य नहीं रहती ऐसे ही एलोवेरा एक प्रकार से ओषधि सब्जी है। मार्केट में जो एलोवेरा बिक रहे हैं वे सब भयंकर प्रिजर्वेटिव युक्त हैं
इन्हें लेने से बचना चाहिए।
पर्याप्त प्रयास करते रहो...
आयुर्वेदिक ग्रंथों में ताजी एलोवेरा
जूस लेने का ही विधान बताया है।
इसे तीन दिन से ज्यादा नहीं रख
सकते।
अमृतम ने भी केमिकल रहित
100 फीसदी शुद्ध एलोवेरा जूस
बनाने का के बार प्रयास किया!
लेकिन वह 10 दिन बाद बदबूदार
हो गया। हाँ कुछ प्रिजर्वेटिव डालकर
रखा, तब 30 से 35 दिन तक ठीक रहा।
जब एलोवेरा जूस में अधिक मात्रा में सुरक्षित रसायन मिलाया तो एक साल
तक खराब नहीं हुआ। परन्तु उसमें
केमिकल अधिक था, पर एलोवेरा जूस
की मात्रा बहुत ही कम थी।
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अमृत की बूंदों से उत्पन्न
ऐसे ही गिलोय भी अमृत दिव्य जड़ीबूटी
है, जो हजारों तरह के संक्रमण/वायरस,
ज्वर आदि को जड़ से मिटाती है।
गिलोय इम्युनिटी बढ़ाकर स्वस्थ्य बनाती है।
गिलोय के बारे में जानने के लिए नीचे
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नमःशिवाय के चमत्कार...
 
अमरनाथ यात्रा के रहस्य….
 
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