मन्त्र शक्ति का कमाल जो कर देगा मालामाल

          ★★★ !!ॐ!! ★★★
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दीपावली की रात्रि में केवल
!! ॐ ह्रीं ॐ नमःशिवाय ह्रीं !!
 
मन्त्र का १०८ माला जाप करें, तो
धन की देवी !!माँँ महालक्ष्मी!!
को कोई भी आपके यहाँआने से
नहीं रोक पायेगा।
जाने-इस लेख में बहुत गूढ़ रहस्य की बातें!
शिवपुराण की एक कथा के अनुसार
!! ॐ ह्रीं ॐ नमःशिवाय ह्रीं !
उपरोक्त मन्त्र श्रीगणेश जी का गुरु मन्त्र है।
यह मन्त्र उनके गुरु शुक्राचार्य जी ने गुरुमन्त्र दीक्षा के समय कान में फूंका था।
मात्र इसी गुरुमन्त्र को जपकर
भगवान श्री गणेश सिद्धि विनायक बने।
इस बार आजमा लें आप,
किस समय करें यह जाप….
 
दीपावली की रात्रि में 11.40 से प्रातः
3.40 तक अबूझ सिद्ध-शुद्ध महुर्त होता है।
यदि किसी को धन-सम्पदा की विशेष
कामना या इच्छा है, तो
इन 4 घण्टों में
!!ॐ ह्रीं ॐ नमःशिवाय ह्रीं!!
इस मन्त्र का जाप
अमृतम “राहुकी तेल” के 27 दीपक जलाकर जाप अवश्य करते रहें। इस मन्त्र प्रयोग के बाद इस वर्ष से
सभी काम अपने आप बिना किसी विध्न-बाधा के बनने लग जाएंगे।
दुःख-तकलीफ, रोग, परेशानी और गरीबी
मिटाने तथा जीवन को नई उमंग-ऊर्जा-उत्साह से भरने के लिये एक बार इस प्रयोग को जरूर अपनाएं।
दीपावली का अर्थ या मतलब क्या है..
दीपावली का अर्थ है –
दीप+अवली इन दो शब्दों से मिलकर
दीपावली की उत्पत्ति हुई है। इसमें दीप
का मतलब दीपक से है तथा
अवली का अर्थ श्रृंखला होता है।
दीपों की श्रृंखला जलाएं…
 
कुल मिलाकर दीपावली की रात्रि में
किसी शिवमंदिर, घर के मन्दिर, मुख्य
द्वार आदि स्थानों पर श्रंखलावद्ध यानी
कड़ी या चेन की तरह दीप जलाना चाहिए।
क्या है दीपावली का महत्व और ग्रन्थ-पुराण शास्त्रों का सत्य..
 
भक्त प्रह्लाद के पुत्र और
परम शिव उपासक हिरण्यकश्यप के पोते
सतयुग के राजा महादानवीर
राजा बली के हिसाब से जो लोग
★ धन तेरस को 27 दीपक,
देशी घी के आटे के दीप में
★ नरक चौदस या शिवरात्रि इसे
छोटी दीपावली भी कहते हैं, इस दिन
54 दीपक मिट्टी के दीप में
राहुकी तेल” के तथा
★ दीपावली की रात में 108 दीपक
जिसमें आधे घी के और आधे तेल के
या राहुकी तेल के जलाते हैं, उसके यहां
महालक्षमी सदैव वास करती है।
दीपावली के स्वाति नक्षत्र होता है,
जिसके मालिक या स्वामी राहु हैं।
राहु देव केवल दीपदान से प्रसन्न होकर
अथाह धन सम्पदा का अंबार लगा देते हैं।
राजनीति का मुख्य कारक ग्रह भी राहु ही हैं।
राहु की माँ सिंहिका कुबेर के खजाने की
रक्षक भी है।
लक्ष्मी तेरे रूप अनेक..
लक्ष्मी तन्त्र में उल्लेख है
धन, ऊर्जा और अग्नि ये तीनो ही
माँ महालक्ष्मी का रूप हैं।
जब लक्ष्मी आती है, तो वह ऊर्जा-उमंग,
उत्साह एवं अग्नि यानि प्रकाश, ख्याति,
यश-कीर्ति साथ लेकर आती है। इसलिए
दीपावली की रात्रि में लक्ष्मी पूजन से 100 गुणा फल “दीपदान” का शास्त्रों में बताया है। 
दीपावली मनाने के और भी बहुत से कारण
है, जिसकी जानकारी आगे दी जावेगी।
फिलहाल सुख-समृद्धि हेतु
!!ॐ ह्रीं ॐ नमःशिवाय ह्रीं!!
मन्त्र का 108 माला यानि जाप करें।
 मन्त्र और मन्त्रों की शक्ति…
अब विज्ञान भी मन्त्रों की शक्ति को जान चुका है। मन्त्र ही मन में अमन लाते हैं।
मन्त्र जाप से मनन करने की शक्ति
बढ़ती है। मन की सभी मनोकामनाएं
मन्त्र से सिद्ध की जा सकती हैं।
मन के प्रसन्न रहने से जीवन में बहुत सी
समस्या दूर रहती हैं। कहते भी हैं-
मन चंगा, तो कठौती में गंगा
अतः हर हालात में मन में अमन यानि
शांति रखिये। इसके लिए मन्त्र जाप
बहुत बड़ी चिकित्सा है।
मन्त्र हैं क्या….
कहा गया कि–
 
मननात् त्रायते इति मन्त्र:
मननत्राण धर्माणों मन्त्रा:!!
अर्थात-
मन को मनन करने की शक्ति और
एकाग्रता प्रदान करके जप के द्वारा सभी तरह के भय-भ्रम, मानसिक तनावों का सम्पूर्ण विनाश कर, हर प्रकार से तन-मन, अन्तर्मन की रक्षा करने वाले शब्दों को मन्त्र बताया गया है।
मननात् त्रायते यस्मात्त 
स्मान्मन्त्र: प्रकीर्तित:….(श.क. ६१७)
अर्थात ‘म’कार से मनन और
 ‘त्र’कार से रक्षण अर्थात जिन विचारों से हमारे कार्य सिद्ध हो जाएं,
जिससे हमारे तन-मन, धन की
रक्षा हो,उन्हें मन्त्र कहते हैं।
मन्त्र भी एक प्रकार की वाणी है।
मन्त्र हमें बन्धन में नहीं डालते,
बल्कि बन्धन से मुक्त करते हैं।
मन्त्र का सम्बन्ध मानसशास्त्र से है।
मन की एकाग्रता पर मन्त्र की नींव है।
इंद्रियों के विषयों की ओर से लक्ष्य यानि ध्यान हटाकर मन को एकाग्रचित्त कर मन्त्र साधना, मन्त्र जप से यह सिद्ध होता है। मन की चंचलता जितनी जल्दी हटेगी, उतनी जल्दी मन्त्र सिद्ध होगा।
मन्त्र विद्या उच्चकोटि का विषय है…
श्रद्धा, एकाग्रता और संयम से इहलोक और परलोक में सफलता पाई जा सकती है।
मंत्र की उत्पत्ति विश्वास और
सतत मनन से हुई है।
हिप्नोटिज्म, मैस्मैरिज्म आदि तत्कालीन विद्या मन्त्र के सम्मुख अत्यंत तुच्छ सिद्धियां हैं।
मन से वर्ण उच्चारण का घर्षण होने से एक दिव्य ज्योति प्रकट होती है, उन्हीं वर्ण या अक्षरों के समुदाय का नाम मन्त्र है। मन्त्र साधक यदि निरन्तर
!!ॐ ह्रीं ॐ नमःशिवाय ह्रीं!!
मन्त्र का जाप करे, तो बहुत कम समय में बड़ी से बड़ी सिद्धियों का ज्ञाता हो सकता है। दीपावली के बारे में अभी बहुत ही दिलचस्प
और दुर्लभ जानकारी देना शेष है।
                   !!अमृतम!!
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