नवरात्रि में घटस्थापन कैसे करें

विभिन्न कामनाओं के लिए कलश स्थापना और अनुष्ठान सम्बन्धी वैदिक नियम…..
एक बार यह नियम-विधान अपनाकर देखें।
जीवन चमत्कारी होने लगेगा।
इस लेख को तैयार करने में 55 से अधिक पुराने ग्रंथो का अवलोकन तथा अध्ययन किया है।
 
महाविद्या सूत्र और भुवनेश्वरी सहिंता आदि ग्रंथों
के अनुसार नवरात्रि में दुर्गापाठ के समय कलश
स्थापना और अखण्ड ज्योत का विशेष महत्व है।
अलग-अलग इच्छाओं एवं मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु वैदिक ग्रंथो, उपनिषदों तथा भाष्यों में इनका वर्णन है।
कलश स्थापना अवश्य करें….
“देवो भूत्वायजेद्देवम”- सिद्धांत के अनुसार
सप्तशती के परायण यानि दुर्गा पाठ करते या करवाते समय घटस्थापना जरूर करना चाहिए।
जल में देवता निवास करते हैं। कामना भेद से कलश में द्रव्य डालने का विधान इस प्रकार है।
कलश पूजन के बाद उसमें सात स्थान की मिट्टी अवश्य डाले। जैसे- हाथी, अश्व, चतुष्पद और तीर्थस्थान आदि की माटी। फिर, सात नदियों का जल अथवा गंगाजल कलश में डालें। इसके पश्च्चा्त
अपनी मनोकामना अनुसार कलश में निम्नलिखित 7 द्रव्य डालने का विधान है….
 
【१】धन-सम्पदा वृद्धि की कामना हो, तो कलश में स्वर्ण मुद्रा या स्वर्ण की धातु जरूर डाले।
【२】खेत-खलिहान में धान्य वृद्धि हेतु कलश में 5 मोती डाले।
【३】लक्ष्मी प्राप्ति के लिये कलश में 3 कमल पुष्प या 5 कमलगटा डाले।
【४】किसी विशेष कार्य में सफलता या विजय प्राप्ति के अभिलाषी कलश में अपराजिता पुष्प डालें।
अपराजिता फूल की पहचान
यह नील और सफेद दो तरह का होता है। यह पुष्प गाय के कान की तरह होता है। सितम्बर-अक्टूबर महीने में अपराजिता फूल बहुत आसानी से मिल जाता है। इसकी बेल होती है।
【५】पति या पत्नी अथवा किसी अन्य पर वशीकरण हेतु कलश में मोरशिखा बूटी डाले।
【६】किसी को मोहित करने के लिए कलश में केतकी का फूल डाले।
【७】आकर्षित करने की कामना हो, तो धतूरे का फूल कलश में डाले।
महामाया की विचित्र माया….
दुर्गोपासना कल्पद्रुम
देवी पुराण
त्रिपुरा रहस्य नामक
प्राचीन पुस्तकों में उल्लेख है कि…
■ वशीकरण की देवी माँ सरस्वती है
■ स्तम्भन की शक्ति देवी लक्ष्मी है।
■ विद्वेषण की ज्येष्ठा यानि धुमेश्वरी या दरिद्रा है
■ उच्चाटन की देवी माँ दुर्गा है।
■ मारण की माँ महाकाली है। यह जीवन में अंधकार का मारण यानी अज्ञानता का सर्वनाश कर देती है।
ग्राम सेवढ़ा जिला दतिया के परम गायत्री उपासक, वैज्ञानिक तन्त्रचार्य और विद्वान ज्योतिषी श्री गंगाराम शास्त्री जी द्वारा लिखी गई “दुर्गा सप्तशती रहस्य”
आदित्य प्रकाशन भोपाल द्वारा प्रकाशित में माँ शक्ति ओर नवरात्रि अनुष्ठान की बहुत ही महत्वपूर्ण बातें लिखी हैं। यह दुर्लभ पुस्तक एक बार अवश्य पढ़ें।
दुर्गा सप्तशती का रचनाकार और महामृत्युंजय मंत्र के आविष्कारक महर्षि मार्कण्डेय ने एक पुराण लिखा। इसी के अध्याय ८१ से ९३ तक तेरह अध्यायों में माँ दुर्गा का जो चरित्र वर्णन किया गया है, उसे ही “दुर्गा महात्म्य” कहा गया।
सप्तशती नाम कैसे पड़ा...
इन 13 अध्यायों का मन्त्र शास्त्र के क्रम से मंत्रों का विभाजन करने पर मन्त्र संख्या सात सौ होती है।
इसीलिए इसे सप्तशती कहा जाता है। कहीं-कहीं इसे सप्तसती भी इसलिए कहते हैं कि इसमें सात शक्तियों का वास है, जो जीव-जगत में तन-मन के 7 विकारों का जड़ से नाश कर देती है।
दुर्गा सप्तशती में माँ सती के सात रूप अवतरित होने की कथा है।
ऋग्वेद के वाग्मभ्रूणी सूक्त में एक त्रिकालदर्शी
ऋषि ने माँ के क्रियाकलापों का स्मरण कर स्तुति , वंदना करता हुआ कहता है कि…
अहं राष्ट्री सँगमनी वसुनां 
चिकितुषि प्रथमा यज्ञयानाम।
तां मा देवा …....आदि
अर्थात- मैं ही इस जगत की नियंता शक्ति हूँ।
अष्टमूर्ति की समन्वय करने वाली में ही हूं।
मैं ही सबमें व्याप्त हूं। आदि
जाने में के रूप कौन से हैं
स्त्री जीवनचक्र का प्रतिबिम्ब है मां भगवती
 के नौ स्वरूप !
【1】नवरात्रि का पहला दिन जन्म ग्रहण करती हुई कन्या शैलपुत्री स्वरूप है।

【2】नवदुर्गा का दूसरा दिन कौमार्य अवस्था तक ब्रह्मचारिणी का रूप है !

【3】तीसरे दिन हम किसी भी कन्या को विवाह से पूर्व तक चंद्रमा के समान निर्मल होने से वह चंद्रघंटा समान मानते हैं।

【4】नए जीव को जन्म देने के लिए गर्भ धारण करने पर वह कूष्मांडा माता का स्वरूप है !

【5】छठे दिन हम माँ को स्कंदमाता के रूप में पूजते हैं क्यों कि संतान को जन्म देने के बाद वही स्त्री स्कन्दमाता हो जाती है।

【6】 संयम व साधना को धारण करने वाली स्त्री कात्यायनी रूप है !

【7】अपने संकल्प से पति की अकाल मृत्यु को भी जीत लेने से वह कालरात्रि जैसी है !

【8】संसार (कुटुंब ही उसके लिए संसार है) का उपकार करने से महागौरी हो जाती है।

【9】धरती को छोड़कर स्वर्ग प्रयाण करने से पहले संसार मे अपनी संतान को सिद्धि (समस्त सुख-संपदा) का आशीर्वाद देने वाली सिद्धिदात्री हो जाती है।

अभी महाकाली, महालक्ष्मी और महादुर्गा के बहुत से रहस्य शेष हैं।
दिलचस्प जानकारी के लिए अमृतम पत्रिका पढ़ते रहें।

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