ऑस्टियोकेल्सिन हड्डियों को बनाता है- मजबूत….

जानिए हड्डियों के बारे में 12 (बारह) बातें ..

■ हड्डियों हैल्दी कैसे बनाएं….
■ ताकतवर हड्डी बिना सब सून….
■ थायराइड का शर्तिया उपचार…
■ हड्डियों का गणित…
■ कैसे जुड़ती हैं टूटी हड्डियां ?
■ महिलाओं-पुरुषों की हड्डियों में अंतर-
■ हड्डियों को मजबूती देने वाली दवाएँ
■ केल्शियम युक्त चीजें।
■ शरीर की सबसे बड़ी और छोटी हड्डी-
जानेंगे इस लेख में।
अस्थियों की अंदरूनी शक्ति 
ऑस्टियोकेल्सिन क्या है?...
ऑस्टियो यानी हड्डी सम्बन्धी ओर
केल्सिन का अर्थ है केल्शियम आदि चिकनाहट प्रदान करना। यह हड्डियों
में छुपा शक्तिशाली अतिसूक्ष्म तत्व है,
जो शरीर के अंदर की हड्डियों के हार्मोन्स अनेक क्रियायों को प्रभावित करता है।
हड्डियों में कैल्शियम और मिनरल्स के
साथ-साथ कोलेजन टिश्यूज प्रोटीन
होता है, जो खुद को हमेशा जीवंत और प्रगतिशील बनाए रखता है। ये शरीर में
इतनी तेजी से खुद-ब-खुद बनता व बढ़ता
रहता है कि आने वाले सात साल में हमें
एक नया कंकाल मिल सकता है।
वहीं हमारे दांत भी हड्डियां हैं।
लेकिन दांतों में कोलेजन टिश्यू नहीं
होने से दांत लचीले नहीं होते।
हड्डियों में ऑस्टियोकेल्सिन नहीं बनने
से देह दर्द से कराह उठती है।
दर्द आपको चेतावनी देता है कि शरीर
में  कुछ सही नहीं है। दर्द होंने पर मन-मस्तिष्क अनफिट अनुभव करता है।
ऑस्टियोकेल्सिन से होने वाले लाभ...
¶~ ऑस्टियोकेल्सिन अस्थियों को शक्ति
व सहारा देकर दर्द मिटाता है।
¶~ शरीर के ढांचे को सक्षम बनाता है।
¶~ दिमाग, दिल और फेफड़ों
को सुरक्षा देता है।
¶~ नवीन रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है।
कैसे बढ़ाएं ऑस्टियोकेल्सिन...
∆ शरीर को थकाकर हड्डियों को ताकत दें!
∆ नियमित कसरत मेहनत, अभ्यंग यानि
मालिश करने से ऑस्टियोकेल्सिन अपने
आप बनाने लगती हैं।
∆ ऑर्थोकी गोल्ड माल्ट एव कैप्सूल
ऑस्टियोकेल्सिन की पूर्ति कर अस्थियों
में ऊर्जा/एनर्जी बढ़ाता है।
∆ ऑस्टियोकेल्सिन हड्डियों में मौजूद होने
से जवान बनाये रखने में मदद करता है।
∆ बुढापा रोककर याददाश्त बढ़ाता है।
∆ हमारी हड्डियां मजबूत होंगी, तो दिमाग
भी तेज चलता है।
∆ ऑस्टियोकेल्सिन हार्मोन्स कद बढ़ाने के साथ-साथ यह हड्डियों में से पुराने ऊतक
{टिश्यू} को हटाकर नये टिश्यू बनाने में
लगातार सक्रिय रहता है।
∆ शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्त्वों
न्यूट्रिएंट्स को सुरक्षित व नियमित करता है।
ऐसा नहीं है कि हड्डियों से हमारा ढांचा
खड़ा रहता है। शरीर की सुंदरता की
असली वजह हड्डी ही होती हैं।
अस्थि ही देह की शक्ति ऊर्जा का कारण है।
यह केल्शियम और लौहतत्व यानि
आयरन को संग्रहित/स्टोर करती हैं।
जिससे बोन/Bone मजबूत होती है और हमारा इम्युन सिस्टम धारदार होता है।
हड्डीयां अपना खुद का हार्मोन्स बनाती हैं।
तथा दूसरे अंगों को संकेत भेजकर उन्हें क्रियाशील बनाये रखने के लिए उकसाती हैं।
ताकतवर हड्डी बिना सब सून….
हड्डी की मदद से व्यक्ति का कसरत करना, चलना, उठना-बैठना, दौड़ना-भागना इत्यादि
श्रम से मन में अमन सम्भव है।
हड्डीयाँ ज्यादा चलने-फिरने से स्ट्रांग होती हैं
और आलस्य से पोली होकर बर्बाद।
बुढापा रोकने के लिए हड्डियों को मजबूती
देना बहुत जरूरी है।
हड्डियों का कमजोर होना ही जल्दी बुढापे
के लक्षण हैं।
कैसे जुड़ती हैं टूटी हड्डियां ?
हड्डियों की क्षतिग्रस्त हुई सतह के तंतु
आपस में जुड़कर खुद को सिल लेते हैं
और एक नई हड्डी का रूप ले लेते हैं।
हड्डियों का गणित.
हमारे हाथ, अंगुलियों और कलाई में सबसे ज्यादा 54 हड्डियां होती हैं, जो हमें लिखने,
कुछ पकड़ने और हर तरह का काम करने
में सहायता करती हैं।
प्रत्येक मनुष्य के जन्म के समय शरीर में
300 हड्डियां होती हैं, परन्तु मृत्यु के समय
तक शरीर में सिर्फ 206 बचती हैं।
इसकी वजह कई हड्डियां जैसे खोपड़ी
आदि का जुड़कर एक इकाई बन जाना है।
18 वर्ष की आयु से 30 की उम्र तक
 हड्डियों के घनत्व में वृद्धि होती है।
 इसके बाद व्यायाम न करने, कैल्शियम
 की कमी से घनत्व/डेंसिटी कम होने से
 अस्थियों में गलाव, खोखलापन,
 बंद होना या फ्यूजन शुरू होने लगता, है।
शरीर की सबसे बड़ी और छोटी हड्डी
जांघ की 19 इंच लंबी हड्डी होती है जिसे
फीमर बोन कहते हैं  यह शरीर
में सबसे बड़ी और कान में घुंडी
नुमा सबसे छोटी कान की हड्डी अर्थात
स्टेपीज  होती है।
 कैसे करें मजबूत हड्डियां…
विटामिन-डी की पूर्ति हेतु
सुबह-सुबह 6 से 8 के मध्य  पूरे शरीर में
★ ऑर्थोकी पैन ऑइल 
लगाकर 30 से 40 मिनट तक  धूप में
अवश्य बैठें। हड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम युक्त ऑर्थोकी गोल्ड माल्ट
तीन महीने तक उपयोग करें।
केल्शियम युक्त पदार्थ….
मुनक्का, बादाम, तरबूज के बीज,
पिस्ता और अखरोट आदि कैल्शियम
से भरपूर ड्राय फ्रूट हैं।
जिसे ऑर्थोकी में मिलाया गया है।
बादाम दिमाग को तेज कर तनाव मिटाता है।
महिलाओं-पुरुषों की हड्डियों में अंतर
लगभग समान हैं लेकिन बनावट व
आकार का फर्क सिर्फ पेट के नीचे
वाले भाग की पेल्विस हड्डियों में है।
हड्डियां कभी नहीं घूमती
आमतौर पर लोगों में भ्रम है कि हड्डियां
घूम जाती हैं लेकिन ऐसा नहीं है। हड्डियां
नहीं बल्कि उनके जोड़ों में घुमाव होता है।
जैसे घुटने के जोड़।
कुछ जोड़ चटकते क्यों हैं?
मांसपेशी व तंतु (लिगामेंट) विभिन्न जोड़
को सपोर्ट देते हैं। जिसमें लचीली हड्डियां
भी मदद करती हैं। इनके घिसने पर जोड़
चटक जाते हैं।
फनी बोन’ देती है झन्नाटा
यह एक हड्डी नहीं बल्कि कोहनी में मौजूद
की एक अल्नर नस है जो बाहर की ओर
स्थित है। किसी चीज से टकराने पर इसमें झन्नाहट या दर्द होता है।
ऑर्थोकी गोल्ड माल्ट का सेवन बुढापे में बीमारियों को मिटाता है। यह हड्डियों में ऑस्टियोकेल्सिन हार्मोन्स का निर्माण
करता है।
आयुर्वेद में हरड़ का मुरब्बा, गुलकन्द,
अमृतम अश्वगंधा पाउडर,
अमृतम सफेद मूसली चूर्ण,
अमृतम शतावर चूर्ण, शल्लकी,
अमृतम शुद्ध गुग्गल,
अमृतम त्रिकटु चूर्ण आदि ओषधियाँ ऑस्टियोकेल्सिन हार्मोन्स तेजी से बढ़ाती हैं।
ऑर्थोकी माल्ट एव कैप्सूल का
बुजुर्गों के स्वास्थ्य को लेकर इसका
निर्माण किया है। थायराइड ओर 88
प्रकार के वात रोग जड़ से मिटाने में
यह पूरी सक्षम है।
Recover endurance धैर्य से सब कुछ मिलता है। आयुर्वेद यही सिखाता है।
माँसपेशियों का नवनिर्माण ( muscle)
करता है।
बेहतर परिणाम और स्थाई समाधान के लिए…
आयुर्वेदिक चिकित्सा करें…
वातरोगों की सबसे बड़ी काट है-हरड़
और आवलां मुरब्बा। मधुर यानि
मीठी चीजों का उपयोग से ऑर्थो सम्बंधित तकलीफें तुरन्त दूर होने लगती हैं।
किसी प्रकार का मधुर पदार्थ या मिठाई
हड्डियों को रस प्रदान करती है, जिससे
अस्थि में लचीलापन बना रहता है ओर
दर्द नहीं होता।
आयुर्वेद में बताए गए तमाम नियम आज वैज्ञानिक प्रयोगों द्वारा सिद्ध कर लिए गए हैं, जिससे पश्चिमी देशों में भी आयुर्वेद धीरे-धीरे अपनी जगह बना रहा है।
नसों का फूलना.
यह प्राय: काम-काजी महिलाओं में पाई जाने वाली स्थिती है जिसमें घुटने के नीचें टांग के हिस्से पर खून की नसें नीले-गुलाबी अथवा लाल रंग की फूली एवं उभरी हुई दिखाई देती है। जिससे प्राय: दर्द एवं सूजन भी रहती है।
खून की नसों में वाल्व (valves) होते है,
जो कि हृदय की ओर जाने वाले रक्त को
वापिस आने से रोकते है जब यह वाल्व सही कार्य नहीं कर पाते है तो खून इन नसों
(Veins -शिराओं) में इकठ्ठा होने लगता है।
यह शरीर के किसी भी हिस्से पर हो सकती है परंत गुरुत्वाकर्षण् शक्ति के कारण अधिकांशत: टांगों के निचले हिस्से में होती है। जब इन नसों
में अत्यधिक खून जमा होने लगता है तो वे फट जाती हैं। जिससे घाव( Vericose ulcer) हो सकता है।
इनसे बचाव हेतु निम्र उपाय कारगर साबित
हो सकते हैं –
¶~ ऑर्थोकी गोल्ड कैप्सूल दूध से लेवें।
¶~ अधिक समय तक खड़े न रहें।
¶~ पैर लटकाकर अधिक समय तक न बैठे।
¶~ टांग पर टांग रखकर न बैठे।
¶~ सोते समय पैर कुछ ऊंचाई पर रखे
अर्थात पैरों के नीचे तकिया लगा सकते है।
¶~ नियमित रूप से टांगों की मालिश करें।
¶~ नसों को दबाने (compression) हेतु
लेज स्टोकिंग का (leg stockings) प्रयोग करें।
¶~ भोजन में लहसुन एवं अदरक का प्रयोग अवश्य करें।
¶~ मुलेठी, सोंठ, हरड़ मुरबा आदि
का 3 से 4 माह तक सेवन करें।
¶~ अमृतम महायोगराज गुग्गुल,
¶~ ऑर्थोकी गोल्ड कैप्सूल
¶~ ऑर्थोकी गोल्ड माल्ट
¶~ अमृतम शतवारी चूर्ण
¶~ ऑर्थोकी पैन ऑयल
¶~ कैशार गुग्गुल,
¶~ आरोग्य वर्धिनी वटी,
¶~ बलारिस्ट,
¶~ खदिरारिष्ट
का आवश्यकता अनुसार उपयोग करें।
दर्द आत्म-सीमित है, जिसका अर्थ है कि यह निश्चित समय और गंभीरता तक सीमित है। यह पुराना हो सकता है।
दर्द पुराना हो, तो यह असाध्य रोगों की
श्रेणी में माना जाता है।
जैसे मधुमेह और दमा। पर्यावरण और मनोवैज्ञानिक वजह से पुराने दर्द को
अच्छा नहीं बताया है।
दर्द का लगातार बने रहना हड्डियों के
कमजोर होने का संकेत है।
नई खोज में इसे ऑस्टियोकेनसिं की
कमी भी कह सकते हैं। इसकी प्रकृति से, पुराना दर्द लंबे समय तक होता रहता है और कई चिकित्सा उपचारों के लिए प्रतिरोधी है।
ऐसा दर्द और अधिक अक्सर गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। पुराने दर्द वाले ज्यादातर लोग  एक से अधिक वातविकार यानि दर्दनाक स्थिति से पीड़ित होते हैं।
दर्द को महसूस करने के लिए विशेष संग्राहक (nociceptor) जो हमारे पूरे शरीर में मौजूद होते हैं। इसके माध्यम से आप दर्द को चुभन, झुनझुनी, डंक, जलन या दर्द के रूप में अनुभव कर सकते हैं
यह उत्तेजना के रूपांतरण के साथ एक विद्युत आवेग के रूप में शुरू होती हैं, जो चोट या रोग प्रक्रिया के निर्माण स्थान से नसों के माध्यम से रीढ़ की हड्डी तक जाती हैं।
दर्द का शारीरिकी विज्ञान
सिर और चेहरे से दर्द के संकेत सीधे मस्तिष्क स्तंभ में जाते है जहां वे दर्द के रास्ते से जुड़ते हैं जो रीढ़ की हड्डी से दिमाग तक जाते हैं। एक केंद्रीय स्थान जो इन संकेतों से जाते है वह थैलेमस है। चेतक (दिमाग) प्रसारण स्थिति है जो पूर्वकाल सिंगुलेट कॉर्टेक्स, सोमाटोसेंसरी कॉर्टेक्स, इंसुलर कॉर्टेक्स और प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स सहित कई अन्य दिमाग के क्षेत्रों में संवेदी संकेतों को वितरित करता है।
शातिर दिमाग भी दर्द बढ़ाता है
शोधकर्ताओं ने पाया है कि दिमाग की कई प्रणालियाँ बुनियादी भावनाओं के अनुभव के साथ दर्द के अनुभव के साथ शामिल हैं। इसके फलस्वरूप, जब लोग बुरी भावनाओं जैसे डर, चिंता, क्रोध का एहसास करते हैं, तो इन भावनाओं के लिए उत्तरदायी दिमाग की प्रणालियाँ भी दर्द के अनुभव को बढ़ाती हैं।
भाग्यवश से, दिमाग में ऐसी प्रणालियाँ है जो दर्द को कम करने में मदद करती हैं। दिमाग से उतरते हुए संकेतों को रीढ़ की हड्डी में वापस भेजा जाता है और आने वाले नोसिसेप्टिव संकेतों की तीव्रता को रोक सकता है, जिससे दर्द का अनुभव कम हो सकता है।
कॉर्टिकल दिमाग के क्षेत्र शरीर से नोसिसेप्टिव (nociceptive) (दर्द का कारण या प्रतिक्रिया) की प्रक्रिया करते हैं और दर्द कठिन अनुभव को उत्पन्न करते हैं। इस दर्द के अनुभव में कई अवयव शामिल हैं।
ऑर्थोकी गोल्ड में मिलाए गए घटक-द्रव्य जब वे अपने लक्ष्य कोशिका तक पहुंचते हैं, तो वे अभिग्राहक (receptor) (अंग या कोशिका) नामक कोशिकाओं की सतह पर विशेष प्रोटीन से बंध जाते हैं। ट्रांसमीटर फिर अभिग्राहक (receptor) को सक्रिय करता है, जो गेट की तरह कार्य करता है। गेट संकेत में बांधा (निरोधात्मक अभिग्राहक) या तो बंद कर देगा या आगे आने वाले संकेत को (उत्तेजक अभिग्राहक) भेजने के लिए खोल देता है।
मानव शरीर में कई अलग-अलग न्यूरोट्रांसमीटर हैं और वे सामान्य कार्य के साथ-साथ बीमारी में भी भूमिका निभाते हैं। नोसिसेप्शन और दर्द के मामले में, वे तंत्रिका तंत्र के सभी स्तरों पर विभिन्न संयोजनों में अभिनय करते हैं और संक्रामक उत्तेजनाओं द्वारा उत्पन्न संकेतों को संचारित करते और सुधारते हैं।
वर्तमान आयुर्वेदक द्वारा विकासशील अणुओं / दवाइयों पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है।
 जो दर्द को कम करने के साथ-साथ
 88 तरह के वातरोगों को ठीक करनमें उपयोगी सिद्ध हो रही हैं। ऑर्थोकी गोल्ड कैप्सूल इस ही उत्पाद है। यह दर्द को जड़ से दूर रखने में योगदान देता है।
अधिकांश दर्द निवारक मेडिसिन मॉर्फिन
युक्त होती हैं, जो सिंथेटिक ओपिओइड की तरह बहुत ही शक्तिशाली है, इसकी आदत शीघ्र दर्द निवारक है।
ये शरीर में दर्द तो तत्काल दूर करती हैं लेकिन इसकी वजह से शरीर अनेक रोगों को पकड़ लेता है। किडनी, लिवर की खराबी, उदररोग आदि विकृतियां उत्पन्न होने लगती हैं। इम्युन सिस्टम गड़बड़ा जाता है।  जबकि ऑर्थोकी गोल्ड एक प्राकृतिक उत्पाद है।
जो आमतौर पर गंभीर और पुराने दर्द प्रबंधन के लिए उपयोग किया जाता है। साथ में ओपिओइड कई लोगों को प्रभावी दर्द से राहत प्रदान करता है। अन्य पेप्टाइड्स भी न्यूरोनल संकेतों को प्रसारित करते हैं और दर्द प्रतिक्रियाओं में भूमिका निभाते हैं।
सूजन और दर्द
तंत्रिका और प्रतिरक्षा प्रणाली के बीच का संपर्क भी महत्वपूर्ण है। साइटोकिन्स, तंत्रिका तंत्र में पाए जाने वाले प्रोटीन का एक समूह भी प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा हैं – जो बीमारी से लड़ने और ऊतक की चोट का जवाब देने के लिए शरीर की ढाल हैं। साइटोकिन्स चोट या क्षति की अनुपस्थिति में भी सूजन को बढ़ावा देकर दर्द को बढ़ा सकते हैं। ऐसी परिस्थितियों में ऑर्थोकी गोल्ड जबरदस्त लाभकारी है क्योंकि इसमें जटामांसी का मिश्रण है, जो दर्द के स्थान से दिमाग हटाता है।
आघात के बाद, दिमाग और रीढ़ की हड्डी में साइटोकिन का स्तर बढ़ जाता है जहां चोट लगी थी। दर्द पैदा करने में साइटोकिन्स की भूमिका को रोककर ऑर्थोकी तकलीफ कम करता है।
 पुराना दर्द गायब.
जब हमें कोई चोट या संक्रमण होता है, तो हमें जो दर्द होता है, वह हमें ऊतक के नुकसान की संभावना के बारे में सूचित करता है। कभी-कभी उपचार के बाद यह रक्षात्मक दर्द बना रहता है या तब भी प्रकट हो सकता है जब कोई स्पष्ट कारण नहीं था।
ऑर्थोकी गोल्ड माल्ट और कैप्सूल इस तरह के अनजाने दर्द से राहत दिलाता है।
 कि चोट और पुराने दर्द के साथ कौन से जीन की गतिविधियाँ बदल जाती हैं। प्रोटीन का ज्ञान जो इन जीनों द्वारा संश्लेषित किया जाता है, चिकित्सा विकास के लिए नए लक्ष्य प्रदान कर रहा है। रीढ़ की हड्डी में न्यूरॉन्स की शारीरिक उत्तेजना बढ़ जाती है, बदले में मस्तिष्क स्तंभ और दिमाग में दर्द के संकेत के मार्ग को बढ़ाते हैं।
दर्द का निदान कैसे किया जाता है?….
वैज्ञानिकों के पास दर्द को जानने के अनेक आधुनिक तरीके हैं परन्तु यह सब शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को क्षीण करते हैं।
किसी व्यक्ति को कितना दर्द होता है-
इसे समझने का कोई  सही तरीका नहीं है।
दर्द की तीव्रता को मापने के लिए उपकरण, इमेजिंग तकनीक के माध्यम से दर्द का ठीक पता लगाने के लिए सही तरीका नहीं है।
हालांकि, चिकित्सकों के पास दर्द के कारण का पता लगाने के लिए कई प्रकार के तरीके और तकनीकें हैं। मुख्य रूप से इनमें शामिल हैं
मस्कुलोस्केलेटल (musculoskeletal)
और स्नायविक (neurological) परीक्षा
जिसमें चिकित्सक तन की गतिविधि, सजगता, सनसनी, संतुलन और समन्वय का परीक्षण करता है। इससे इम्युनिटी का पतन होता है।
ज्यादा जांच में न जाएं.….
प्रयोगशाला परीक्षण जैसे रक्त, मल-मूत्र, मस्तिष्कमेरु द्रव चिकित्सक को संक्रमण, कैंसर, पोषण संबंधी समस्याओं, अंतःस्रावी असामान्यताओं और अन्य स्थितियों का पता लगाने में मदद तो करती हैं लेकिन यह सब पैथालॉजी जांचे या टेस्ट दर्द का कारण बन सकती हैं।
ज्यादा एक्सरे न कराएं
बार-बार एक्स-रे कराने से बचें, इससे शरीर की संरचनाओं में संक्रमण पैदा होता है।  हड्डियों में खोखलापन आकर जोड़ों में दर्द का उत्पादन आरम्भ हो जतां है।
दर्द का इलाज कैसे किया जाता है?
क्या आप वातरोग जड़ से मिटाना चाहते हैं,
तो आयुर्वेद का यह इलाज ऊर्जादायक, शक्तिशाली और प्रभावी हो सकता है।
【1】ऑर्थोकी गोल्ड माल्ट
【2】ऑर्थोकी गोल्ड कैप्सूल 
【3】अमृतम शतावरी चूर्ण
【4】ऑर्थोकी पैन ऑयल
लीजिए 4 से 5 महीने यह आयुर्वेदिक सप्लीमेंट, जो दुखते, टूटते जोड़ों जोड़ों को शक्ति देगा। ८८ तरह के वात व्याधियों और थायराइड को मिटाने में पूर्णतः सक्षम है। यह हड्डियों में ऑस्टियोकेल्सिन
बढ़ाएगा। एक बार लम्बे समय तक सेवन करके देखें। ऑर्थोकी गोल्ड सभी तरह हानिकारक दुष्परिणाम यानि साइड इफेक्ट से मुक्त है …
उपरोक्त चारों दवाएँ केवल ऑनलाइन
उपलब्ध है। ऑर्थोकी गोल्ड के फार्मूले
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