रहस्योपनिषद में लिखे हैं राहु के रोचक रहस्य

राहु के मंदिरों की दुर्लभ जानकारी

जाने-पहली बार
अमृतम राहुकी तेल के 54 दिन दीपक

जलाकर पाएं भयानक कष्टों से मुक्ति और अपना जीवन सुधार कर सभी सपने
पूरे कर सकते हो-
राहु के रहस्य-पार्ट-1/भाग-एक
कष्टदायक कालसर्प से मुक्ति पाएं!
यदि आप कठिन से कठिन परिस्थितियों
से गुजर रहे हैं, तो एक बार शिव की शरण में जाकर राहु को प्रसन्न करें ….
राहु रास्ता रोक देता है…कालसर्प का कारक ग्रह राहु है, जो केवल भोलेनाथ की उपासना से ही प्रसन्न होता है।

परम् शिव भक्त दैत्य राहु के साथ देवों द्वारा छल करने के परिणाम स्वरूप सिर कटवाना पड़ा। इस कपट पूर्ण प्रक्रिया के कारण

राहु के दो धड़ हुए।
तत्पश्चात ऊपर का धड़ राहु ओर
नीचे का धड़ केतु
ग्रह के नाम से जग में जाना जाता है।

ओरिजनल नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
कहाँ कटा था – राहु का सिर.
जहाँ राहु का सिर कटा था, वह स्थान
दक्षिण भारत के कुंभकोणम से 7 km दूर त्रिनागेश्वरम ज्योतिर्लिंग में है,

जहाँ आज भी रोज राहुकाल में

राहु को प्रसन्न करने

वाली सामग्री से राहुदेव ग्रह की

विधि-विधान से पूजा होती है तथा

राहुकी तेल के 1008 दीपक प्रज्वलित

किये जाते हैं।
राहु की कृपा पाने के लिए यह पूजा
लाखों वर्षों से चल रही है।
राहु के इस महा विशाल स्वयम्भू शिवालय में भोलेनाथ नागेश्वर शिंवलिंग के रूप
विराजमान हैं। यही मूल यानि
ओरिजनल नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भी है।


राहुदेव का वायुतत्व शिंवलिंग
राहु का ही एक मूल शिवालय श्री कालहस्ती मन्दिर में स्थित है।
इस शिंवलिंग में 27 नक्षत्र प्राकृतिक रूप से उभरे हुए हैं। यहां भी कालसर्प दोष की पूजा कोटेलिंगेश्वर महालिंगा के समीप बैठकर की जाती है। यह मन्दिर तिरुपति से लगभग 40 km की दूरी पर है। इस शिंवलिंग क दर्शन से पूर्व श्री पाताल गणपति के दर्शन अवश्य करना चाहिए।
पितृदोष की शांति के राहु-केतु का एक स्वयम्भू शिवालय दक्षिण भारत के
कुंभकोणम से तिरुनल्लार शनि
शिव मन्दिर
जाते समय 7 km घने जंगल में स्थित है, जहाँ जाकर आप भयभीत भी हो सकते हैं। यह मनिदर पितृदोष की शांति के लिए दुनिया में एक मात्र तीर्थ है। यहां

कुण्ड में स्नान कर शिंवलिंग केवल दर्शन से ही पितृदोष मिट जाता है।

दगा किसी का सगा नहीं है….
महादेव ने प्रतिदिन राहुकाल का निर्धारण किया है। राहु की पूजा का विधान मन्त्र-महोदधि, तन्त्र महोदधि, स्कंदपुराण, अग्निपुराण में लिखा है।


राहु बहुत रहस्यमयी छाया ग्रह है….
राहु के रहस्य को सम्पूर्ण सृष्टि में
आज तक कोई समझ नहीं पाया।
राहु सर्वाधिक धन-सम्पदा देने वाला
ग्रह है। धनाध्यक्ष कुबेरऔर न्यायधीश
शनि इनके परम मित्र हैं। शुक्र देव के प्रति राहु की गहरी आस्था है, क्योंकि शुक्र ग्रह
राहु के सद्गुरु हैं।राहु से पीड़ित कभी कभी व्यक्ति आत्महत्या करने तक की सोचने लगता है। दुनिया के जितने भी कष्ट, क्लेश, दुख, द्रारिद्रय सब राहु की देन है।
राहु जब किसी को सताते है, तो ईश्वर भी उसकी मदद नहीं करता।
राहु की शांति का एक मात्र सबसे सरल उपाय है – नीचे दिए गए इनकी मदद से हजारों दुख-दर्दों से हमेशा-हमेशा के लिए मुक्ति पा सकते हो
【1】प्रतिदिन राहुकाल में 54 दिन तक लगातार अमृतम द्वारा निर्मित
राहुकी तेल के 5 दीपक घर या किसी
शिव मंदिर में जलाकर अपने पिछले पापों का प्रायश्चित करें।
【2】प्रतिदिन प्रातः सुबह 5.29 से 6.27 के बीच किसी शिवालय शिवमन्दिर की साफ-सफाई कर
शिंवलिंग पर अमृतम मधु पंचामृत
का लेप कर, पान के पत्ते पर
कर्पूर जलाकर अपने कष्ट निवारण की प्रार्थना करें।
【3】सम्भव हो, तो प्रत्येक पंचमी तिथि को शिंवलिंग पर कच्चे दूध में चन्दन इत्र, गंगाजल
अपने पित्तरों के निमित अर्पण करें।


【4】विशेष ध्यान देवें-
शनि-राहु एवं कुबेर को करें प्रसन्न
प्रत्येक शनिवार को घर के सभी सदस्य
अमृतम काया की मसाज़ तेल
की मालिश करके ही स्नान करें।
राहु को खुशबूदार इत्र, चन्दन, गुलाब
आदि अत्यंत पसंद हैं।
काया की तेल चन्दन, गुलाब, की
महक से भरपूर है। काया की तेल के अभ्यंग से मन बहुत हल्का प्रतीत होगा और मानसिक शांति का एहसास करेंगे।
शरीर में इन्हें लगाने से राहु की अपार कृपा एक से 2 महीने में बरसने लगती है। विश्वास वृद्धि के लिए यह सभी पूजा प्रयोग एक बार करके देखें। यकीन हैं जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन होने लगेंगे।

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Comments

2 responses to “रहस्योपनिषद में लिखे हैं राहु के रोचक रहस्य”

  1. ASHISH PATEL avatar
    ASHISH PATEL

    HOW CAN I GET RAHU OIL FOR DEPAK AND FOR MASSAGE?

    1. patrika avatar
      patrika

      Call us at +91 7771918834, our team will help you out.

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