Tag: आयुर्वेदिक चिकित्सा

  • कामशक्ति बढ़ाने के उपाय :—-

    कामशक्ति बढ़ाने के उपाय :—-

    श्वास, भोजन तथा निद्रा के बाद चौथा महत्त्व काम का है । निद्रा के बारे में अन्य स्थान पर बताया जा चुका है । यह पुस्तक कार्य के संसार से हमारे संबंधों की व्याख्या करती है। निन्द एक ऐसा विराम है जो अस्थायी रूप से सांसारिक गतिविधियों से हमें अलग कर देता है। यह पहले…

  • नजला,साइनस,जुकाम का शर्तिया इलाज मिल गया है।जाने साइनस के लक्षण और इलाज…….

    नजला,साइनस,जुकाम का शर्तिया इलाज मिल गया है।जाने साइनस के लक्षण और इलाज…….

    साइनस एक तरह से सर्दी-जुकाम की समस्या है। ये विकार पुराना होने पर नाक की छिद्र नलिकाओं में सूजन आने लगती है। आयुर्वेदिक शास्त्रों में इस नाक के रोग को प्रतिश्याय नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद शास्त्र चरक, सुश्रुत सहिंता में भी साइनस या नजला यानी प्रतिश्याय को नव प्रतिश्याय (एक्यूट साइनुसाइटिस) और पक्व…

  • पाचनतंत्र की मजबूती के लिए करें यह उपाय।

    पाचनतंत्र की मजबूती के लिए करें यह उपाय।

    आयुर्वेद के नियमानुसार अगर जठराग्नि यानी पाचनतंत्र की अग्नि तेज या मजबूत रहेगी, उदर दीपन होगा, तो शरीर सदैव सब विकारों से बचा रहता है। भोजन के एक घण्टे बाद पानी पीने की आदत बनाये, तो बुढ़ापे या जीवनान्त तक पाचनतंत्र की अग्नि मजबूत बनी रहेगी। पाचन तंत्र की अग्नि को आयुर्वेद में जठराग्नि कहते…

  • वातावरण एवं अनुष्ठान :—–

    वातावरण एवं अनुष्ठान :—–

    मैंने विभिन्न कामोद्दीपक नुस्खों तथा अन्य कारकों का विवरण दे दिया है जो काम-क्षमता तथा काम-वासना आदि में वृद्धि करते हैं । दो और कारक हैं जो काम-अभिव्यक्ति की क्षमता बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । ये हैं वातावरण व शयन-कक्ष की सज्जा तथा अनुष्ठानों का महत्त्व । सहवास के लिए उपयुक्त वातावरण होना…

  • कच्ची हल्दी क्या होती है? इसके क्या उपयोग होते हैं?

    कच्ची हल्दी क्या होती है? इसके क्या उपयोग होते हैं?

    कच्ची हल्दी के 25 लाजबाब फायदे… आयुर्वेद में हल्दी को हरिद्रा कहा जाता है। भावप्रकाश ग्रन्थ के अनुसार हल्‍दी की विभिन्न चीजे होती हैं- अम्बाहल्दी, दारुहल्दी, वनहल्दी आदि.. कच्ची हल्दी से अचार, बर्फी, लड्डू, रायता भी बनाते हैं कच्ची हल्दी कैसे पैदा होती है-देखें यह वीडियो… आयुर्वेद के अनुसार हल्दी के संस्कृत में श्लोक, विभिन्न…

  • फैटी लिवर क्यों होता है। इसके लक्षण क्या है। जाने उपाय, उपचार और आयुर्वेदक इलाज….

    फैटी लिवर क्यों होता है। इसके लक्षण क्या है। जाने उपाय, उपचार और आयुर्वेदक इलाज….

    फैटी लिवर की वजह से कुछ भी पचता नहीं है। पेट में तरल पदार्थ बनने लगता है। यकृत्गत मेदोसंचय यानि फैटी लिवर होने की दो वजह मुख्य हैं। मदिरापान या मद्यपान ज्यादा करने से (Alcohol) तथा मिथ्या-आहार (Unhealthy lifestyle), जिसमें वसायुक्त खाद्यपदार्थों का अत्यधिक सेवन तथा न्यूनतम शारीरिक श्रम प्रमुख रहते हैं। फैटी लीवर की बीमारी…

  • खट्टी डकारें, अपच मिटाते हैं-13 मसाले

    खट्टी डकारें, अपच मिटाते हैं-13 मसाले

    जाने- रोगनाशक मसालों के बारे में… खट्टी डकारें, अम्लपित्त, पित्तदोष, त्रिदोष, गैस, कब्ज, एसिडिटी, यकृत की कमजोरी, कर्कट रोग (कैंसर), पेटदर्द, आँतों की खराबी और पेटदर्द आदि अनेक पेट/उदररोग से मुक्ति दिलाकर इम्युनिटी बढ़ाते हैं– भारतीय आयुर्वेदिक 13/तेरह मसाले…… अतः सब्जी के साथ दम से खाएं। क्योंकि सब्जी में सबका जी रहता है। पाचनतंत्र के…

  • पेट की सफाई कैसे रखें..

    पेट की सफाई कैसे रखें..

    पेट खराबी, कब्ज, गैस की समस्या से होते हैं- 25 तरह के खतरनाक रोग…. आयुर्वेद की कभी भी कोई भी जड़ीबूटी, देशी दवा या घरेलू उपायों से हो सकता है-शहर्रिर को भारी नुकसान। अतः बिना जाने-समझे, सन्दर्भ ग्रन्थ पढ़े बिना कतई भरोसा न करें। आजकल गूगल पर अनेको भ्रमित करने वाली जानकारियों का भंडारण हो…

  • तन-मन को संक्रमण और बीमारियों से बचाना है, तो सप्ताह में 2 बार मालिश-मसाज या अभ्यङ्ग अवश्य करें…शास्त्रमत यह ज्ञान पहली बार पढ़ें…

    तन-मन को संक्रमण और बीमारियों से बचाना है, तो सप्ताह में 2 बार मालिश-मसाज या अभ्यङ्ग अवश्य करें…शास्त्रमत यह ज्ञान पहली बार पढ़ें…

     अभ्यङ्ग के अनुभव, चमत्कारी लाभ- अपने पूरे जीवन में शरीर की मालिश करने वाले डा॰ हरिकृष्णदास एम॰ ए॰ ने अपने अनुभवों में लिखा है कि संक्रमणों तथा बीमारियों से बचने के लिए मालिश अति आवश्यक उपक्रम है। स्वस्थ्य-प्रसन्न औऱ लम्बी निरोग जीवन के लिए सप्ताह में कम से कम एक से दो बार मसाज अवश्य…

  • आयुर्वेद के अनुसार सिरदर्द और अनेक बीमारियों की वजह क्या है?..

    आयुर्वेद के अनुसार सिरदर्द और अनेक बीमारियों की वजह क्या है?..

    सिरदर्द, नसों में धीमा रक्त संचार और दिमागी मांसपेशियां कमजोर हों, तो योगा करने के बाद सीधी नाक से गहरी-गहरी श्वांस नाभि तक ले जाकर सीधी नाक से ही शनै-शनै ही छोड़े। ऐसा दिनभर में 200 से 300 बार दोहराएं आपकी दिमागी तकलीफ 100 फीसदी मिट जाएगी। शरीर में प्राणवायु अर्थात ऑक्सीजन की पूर्ति होने…