अथर्ववेद के अनुसार- आयुर्वेद देह में रोगप्रतिरोधक क्षमता यानि इम्युनिटी
कमजोर करने वाले विषाणुओं-कीटाणुओं नाश कर शरीर को संक्रमित होने बचाता है!
● अमृतम आयुर्वेद यह वात-पित्त कफ
(त्रिदोष) को सन्तुलित कर तन-मन-अन्तर्मन
को विकार रहित बनाने में सहायक है।
●● शरीर में शक्ति, स्फूर्ति हर-बल
देने के कारण इसे हर्बल कहतें हैं।
●●● आयुर्वेद वैदिक परम्परा के साथ-साथ
स्वास्थ वर्द्धक और हानिरहित चिकित्सा पध्दति है…
●●●● आयुर्वेद में गर्भाधान से लेकर मृत्यु तक सोलह संस्कारों का उल्लेख है।
●●●●● धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष चारों पुरुषार्थ
प्राप्ति का साधन है।
●●●●●● हम आयुर्वेद के नियमों को अपनाकर सुन्दर स्वास्थ्य और अपार सुख-संपत्तियों के स्वामी बन सकते है।
●●●●●●● आयुर्वेद का उपयोग,
भोग से मोहभंग कर रोग मिटाने में मददगार है तथा मनुष्य को योग हेतु
प्रेरित करता है।
●●●●●●●● आयुर्वेदिक औषधियों अनगिनत लाभ हैं इसके सेवन से सात्विक और सकरात्मक सोच-विचार आते हैं।
पुस्तकों की पूँजी Treasure of Books..
हजारों ग्रंथो, पांडुलिपि, शोधपत्र यानि
उपनिषद तथा वेदों में आयुर्वेद का अपार
ज्ञान भरा पड़ा है।
आयुर्वेद के इन्ही प्राचीन ग्रंथो से
अमृतम आयुर्वेदिक ओषधियों का
निर्माण किया जाता है।
आयुर्वेद के फायदे…
परमेश्वर प्रदत्त प्राकृतिक वनस्पति,
जड़ीबूटी, फल, मसाले, फल, पेड़-पौधे, स्वास्थ्य वर्द्धक और पूर्णतः
हानिरहित होते हैं और इनमें
बहुत सारी विशेषताएं होती हैं।
अमृतम आयुर्वेदिक ओषधियाँ शरीर
को पूर्णतः स्वस्थ्य, सुरक्षित कर सभी
तरह के संक्रमण एवं दुष्प्रभाव से मुक्त
रखने में कारगर हैं। क्योंकि ये हानि
रहित रहती हैं।
आयुर्वेद के साइड बेनेफिट
बेशुमार हैं और
साइड इफ़ेक्ट यानि दुष्प्रभाव,
कुप्रभाव बिल्कुल नहीं होते!
कैसे करें रोगों का इलाज….
आयुर्वेदिक नियमों के अनुसार शरीर
का कोई भी रोग लंघन यानि अन्न-भोजन त्याग करने से 7 दिन के अंदर स्वतः ही
ठीक हो जाता है।
शरीर का सबसे सशक्त हिस्सा दिमाग है।
इसे राजा कहा गया है। इसकी मजबूती
से ही मन प्रसन्न रहता है। बुद्धि में विकार
या बीमारी का विचार
सर्वप्रथम बुद्धि में आता है।
इसलिए मस्तिष्क में मनोविकार
मत आने दो।
बुद्धि को बलशाली और ब्यूटीफुल
बनाने के लिए इस ब्लॉग की लिंक
क्लिक कर ज्ञान बढ़ाये…
क्यों बढ़ती हैं बीमारियां….
किसी प्रकार की बीमारी को हम
जल्दी ठीक करने के लिए धैर्य न
रखकर कोई न कोई एंटीबायोटिक
अंग्रेजी मेडिसिन का उपयोग
करने लगते हैं।
क्या होते हैं – साइड इफ़ेक्ट.
ये केमिकल युक्त
मेडिसिन हमारे रोगों को कुछ समय
के लिए बस दबा देती हैं।
दवा का अर्थ है-दबाना,
ठीक करना नहीं।
रसायनिक उत्पाद बीमारियों को
जड़ से मिटाते नहीं हैं।
आयुर्वेद में ओषधयाँ होती हैं,
मेडिसिन नहीं..
आयुर्वेद के सभी पुराने-प्राचीन शास्त्रों में
दवा या मेडिसिन नाम का कोई उल्लेख नहीं मिलता। इन्हें दवा न कहकर अनुपूरक या पूरक (सप्लीमेंट) कहा गया है।
आयुर्वेद में हरेक जड़ीबूटी पदार्थ
आदि को औषध और औषधि कहते हैं।
विज्ञापन और व्यापारिक दृष्टिकोण से इसे दवा और मेडिसिन कहने लगे हैं।
मेडी के मायने…और मेडीसिन का अर्थ
∆~ दुनिया में मेडी का बहुत महत्व है।
वैसे गांव के कुछ लोग मेडीसिन का अर्थ
मेड माने निर्माण तथा सिन यानि पाप
कहतें थे।
∆~ अल्जीरिया नामक देश का एक प्रांत की राजधानी का नाम मेडी नगर है।
∆~ गुजरात में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक मेडी नाम का महत्वपूर्ण गाँव है।
∆~ 43 विभिन्न देशों में, 451 बार मेडी (Medi) शब्द पहला नाम पाया गया।
∆~ दुनिया के 35 देशों में न्यूनतम 451 बार मेडी (Medi) उपनाम के रूप में प्रयोग होता पाया गया है।
∆~ विश्व के अनेक देशों में 25% स्त्री और 75% पूरुषों का पहला नाम “मेडी” है।
∆~ कुछ समय पहले से मेडिसिन वाली चाय को मेडी चाय कहने लगे हैं।
∆~ मेडीगाइड का चलन…
यह स्वास्थ्य के बारे में एक वैकल्पिक
निदान या उपचार योजना प्रदान करता है।
∆~ मेडिटेशन का मतलब….
मेडिटेशन से मानसिक सुख-शांति,
खुशी और परमांनद की प्राप्ति होती है
यह खुद को शांत रखने का एक
अभ्यास है। अपने लक्ष्य और
सफलता के लिए प्रतिबद्ध करता है।
ॐ का ध्यान करने से होते हैं चमत्कारी लाभ
जानने हेतु क्लिक करें-
बीमारी अब हत्यारी हो गई है.…
एलोपैथिक के उपभोग से
नर हो या नारी अथवा कुंवारी
पर बीमारी की ऐसी आरी चलती
है कि व्यक्ति रिश्तेदारी में भी हिस्सेदारी
करना बन्द कर देता है।
शरीर की सारी शक्ति तथा बुद्धि
की खुमारी निकल जाती है।
शरीर में कुछ वक्त बाद एक के बाद
एक एलोपैथिक के
विषैले दुष्प्रभाव यानि
“साइड इफेक्ट” (Side Effect)
पैदा होने लगते हैं। जैसे-
■ इम्युनिटी कमजोर होना।
■ अम्लपित्त या एसिडिटी,
■ कब्ज, भूख व खून की कमी,
■ पेट की बीमारियां, उदर विकार,
■ लिवर (यकृत) में सूजन, संक्रमण
■ किडनी (गुर्दे) में खराबी, कमजोरी
■ स्किन डिसीज़ या त्वचा रोग,
■ त्वचा का फटना,
■ घबराहट रहना, बैचेनी होना,
■ आलस्य, सुस्ती,
■ मानसिक अशान्ति,
■ कम्पन्न, कपकपाहट
■ वात रोग (अर्थराइटिस),
■ थायराइड (ग्रंथिशोथ),
■ गले व जोड़ों में सूजन,
■ फेफड़ों की कमजोरी या अन्य संक्रमण,
■ अस्थमा, श्वांस, दमा, साँस फूलना
■ अवसाद (डिप्रेशन), माइग्रेन एवं सिररर्द,
■ आंखों की समस्या, चक्कर आना आदि।
वेद भी सहायक है स्वास्थ्य में….
[■] पुरुषों के रोग –
¶ शारिरिक कमजोरी,
¶ पुरुषार्थ हीनता,
¶ यौन समस्या,
¶ नपुंसकता,
¶ सेक्स व्याधियों से पीड़ित होना आदि।
[★] महिलाओं के रोग…
π पीरियड के समय की तकलीफ,
π सफेद पानी आना (व्हाइट डिस्चार्ज),
π श्वेत प्रदर, लिकोरिया।
π PCOD या PCOS Syndrome
आदि के रूप में सामने आते हैं।
आयुर्वेदक ओषधि के साइड बेनिफिट-
आयुर्वेदिक ओषधियों के सेवन से
अनगिनत फायदे होते हैं।
हर्बल जड़ीबूटियों में सभी तरह
के मिनरल्स, खनिज पदार्थ, प्रोटीन, विटामिन्स, प्राकृतिक रूप से समाहित
होने से यह शरीर की कोशिकाओं,
अवयवों, धातु-मज्जा और
रस-रक्त नाडियों
को क्रियाशील बनाये रखते हैं।
अमृतम ओषधि खाने से शरीर के
रग-रग से रोग रवाना हो जाते हैं।
आयुर्वेदिक ओषधियाँ अंग-अंग में ऊर्जा-उमंग का प्रवाह बनाकर आरोग्यता
प्रदान करती हैं।
तन और मन को
“हर-बल” देने के कारण ही इन्हें
हर्बल कहा गया है।
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