क्या है इतिहास, महत्व, थीम और
सरकारों की जिम्मेदारी…
विश्व जनसंख्या दिवस का आरम्भ...
सर्वप्रथम यह आयोजन 1989 में संयुक्त
राष्ट्र विकास कार्यक्रम की गवर्निंग काउंसिल
द्वारा स्थापित किया गया था
दरअसल 11 जुलाई 1987 तक दुनिया
में जनसंख्या का आंकड़ा 500 करोड़
को पार कर गया। ऐसे में सन्सार की
मानव जाति के हितों को ध्यान में
रखते हुए विश्व के सभी देशों ने
जनसंख्या दिवस के रूप में
मनाने का फैसला लिया।
विश्व जनसंख्या दिवस 2020 की थीम है- ‘कोविड-19 या कोरोना संक्रमण की रोकथाम: महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ और अधिकारों की सुरक्षा कैसे हो‘
विश्व जनसंख्या दिवस का उद्देश्य....
विभिन्न जनसंख्या मुद्दों पर लोगों की
जागरूकता बढ़ाना है! जैसे-कि
■ जनसंख्या को नियंत्रित करना
■ परिवार नियोजन पर जोर,
■ लिंग समानता ,
■ गरीबी कम करना
■ परिवारों का जीवन स्तर सुधारना
■ शिक्षा के लिए प्रेरित करना।
■ मातृ स्वास्थ्य का ध्यान रखना
■ मृत्युदर को कम करना
■ मानव अधिकारों का महत्व बताना
जनसंख्या ओर अंकुश क्यो जरूरी?…
माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत
माल्थस के अनुसार, ‘जनसंख्या दोगुनी रफ्तार (1, 2, 4, 8, 16, 32) से बढ़ती है, जबकि संसाधनों में सामान्य गति (1, 2, 3, 4, 5) से
ही वृद्धि होती है। परिणामतः प्रत्येक 25 वर्ष
बाद जनसंख्या दोगुनी हो जाती है।
जनसंख्या वृद्धि से प्रकृति का पैदावार,
भोजन प्राक्रतिक साधनों में अंतर गड़बड़ा जाता है और फिर नेचर या ईश्वर को उसमें संतुलन स्थापित करना पड़ता है।
तब सृष्टि को चलाने वाली परम अदृश्य
सत्ता कुदरती तरीके से रोक लगाती है।
इन परिस्थितियों में अनेकों प्राकृतिक
आपदाएं आने लगती हैं। जैसे-
संक्रमण या वायरस फैलना।
महामारी, बीमारियां
अकाल और सूखा
आत्महत्या जैसी अकाल मृत्यु
मौसम का असन्तुलन
युद्ध की आशंका
वज्रपात, सुनामी
जैसी विभीषिका से प्रथ्वी का सिस्टम
गड़बड़ा जाता है।
तुलसीदासजी का यह संकेत ध्यान देने
योग है
!!ऐहिक देविक भौतिक तापा!!
परमात्मा का जनसख्या और प्रकृति
प्रदत्त अपने संसाधनों में अंकुश लगाने
तथा संतुलन- सामंजस्य बनाने का
बस यही एक मार्ग या रास्ता है।
वर्तमान में भयंकर तरीके से फैला
कोरोना वायरस और पूर्व में हुई
उतराखंड के केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
पर आई आपदा जिसमें हजारों लोग
पानी में बहकर लापता हो गए थे।
इस तरह की अकाल मृत्यु हमें
सावधान रहने के लिए इंगित करती है।
अकालमृत्यु, अकाल, महामारी, युद्ध, प्राकृतिक-आपदा जिसमें सुनामी, बाढ़,
भूकंप आदि इसके उदाहरण है।
कौन थे थॉमस रॉबर्ट माल्थस...
माल्थस को जनसंख्या वृद्धि पर काम
के लिए जाना जाता है। माल्थस ने सन
1798 में जनसंख्या के सिद्धांत
An Essay on the Principle of Population नामक
एक शोध पुस्तक में लिखा है कि-
देखरेख न की जाये, तो जनसंख्या अपने संसाधनों को बढ़ा देगी, जिससे कई
विकराल परेशानियां आने लगती हैं।
सेक्स के सिवाय कछु और न सुहात है…
भारत में अभी भी एक बड़ी जनसंख्या
शिक्षा से दूर होने और परिवार नियोजन
के बारे में लोगों में जागरूकता का अभाव
है। इसकी वजह से में जनसंख्या वृद्धि दर
ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक है।
सबका साथ-सबका विकास…
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत
की आबादी 121 करोड़के करीब थी।
वर्तमान में यह 130 करोड़ को भी पार
कर चुकी है।
यदि लोग ध्यानपूर्वक इसी तरह विकास
करने में लगे रहे, तो सन 2030 तक
भारत की आबादी चीन से भी ज़्यादा
यानि 155 करोड़ के लगभग होने का
अनुमान है।
भारत सरकार की सादगी....
आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 की एक
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पिछले
कुछ वर्षों में जनसंख्या वृद्धि की गति धीमी
हुई है। वर्ष 1971-81 के मध्य वार्षिक वृद्धि
दर जहाँ 2.5 प्रतिशत थी वह वर्ष 2011-16
में घटकर 1.3 प्रतिशत पर आ गई है
अमृतम सलाह...
यदि हो सके, तो कम बच्चे पैदा कर
उनके लालन-पालन, पोषण पर ध्यान दें।
कुल में एक ही बच्चा नाम ऊंचा कर देता है।
कम बच्चों की देखभाल, पढ़ाई-लिखाई,
शिक्षा सहज हो जाती है।
एक ही साधे सब सधे वाली बात
चरितार्थ करके देखें।
देश की उन्नति और अच्छे भविष्य के
लिए जनसंख्या पर नियंत्रण जरूरी है।
इससे सुख-शांति का भी अनुभव होगा।
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