तनाव, चिन्ता, फिक्र, भय-भ्रम तथा
निगेटिव सोच से दूर रहिये। यह
इम्यूनिटी के लिए सबसे फायदेमंद है।
आयुर्वेद चरक सहिंता,
आयुर्वेदिक निघण्टु में
रोगप्रतिरोधक क्षमता वृद्धि के
उपायों में लिखा है कि-
पूरी पर्याप्त नींद,
तनाव मुक्त मस्तिष्क
योग, ध्यान-प्राणायाम
सन्तुलित भोजन,
नियमित कसरत,
स्नान पूर्व अभ्यंग यानि मालिश
और त्रिदोष नाशक जड़ीबूटियों से
निर्मित क्वाथ जैसे-
इम्युनिटी तेजी से बढ़ाती हैं।
ईश्वर का बनाया हुआ है-आयुर्वेद ….
आयुर्वेद भारत की लाखों वर्ष प्राचीन
चिकित्सा प्रणाली है। आयुर्वेद का उल्लेख
वेद-पुराणों में भी मिलता है। पहले यह
विधि श्रुति रूप में थी अर्थात केवल
गुरु शिष्यों को कंठस्थ करा दिया करते
थे। यह विधान लाखों सालों तक चलता
रहा, क्योंकि उस समय लोगों की स्मृति,
स्मरण शक्ति या याददाश्त भर तेज थी।
बाद में आयुर्वेद के उपनिषद लिखे गए।
महर्षि चरक, सुश्रुत का योगदान…
महर्षि चरक ने इस चिकित्सा का प्रसार-प्रचार अपने महान ग्रन्थ चरक सहिंता
की रचना के माध्यम से जगत में फैलाया।
आयुर्वेद की परम्परा सृष्टि रचना के साथ
ही आरम्भ हुई थी, परन्तु राजनीतिक कारणों से ऐसा माना जाता है कि आयुर्वेद की यह चिकित्सा प्रणाली भारत में 5000 साल पहले उत्पन्न हुई। लेकिन यह सही धारणा
नहीं है। यह भारी भ्रम फैलाया है।
आयुर्वेद की अवधारणा.…
आयुर्वेद की मुख्य अवधारणा यह है
कि वह उपचारित या निरोग होने की
प्रक्रिया को व्यक्तिगत बनाता है।
आयुर्वेद का कहना है कि-
यदि कभी वैद्य या चिकित्सक आराम
करने की बोले, तो जरूर करें…
इसमें स्वास्थ्य का विज्ञान छुपा है
जरूरी नहीं कि आपकी रोगप्रतिरोधक क्षमता केवल दवा खाने से बढ़ेगी।
इम्युनिटी बढ़ाने के और तरीक़े भी
कारगर हो सकते हैं. जैसे-
@ आठ घण्टे की पर्याप्त नींद,
जिसमें दिन कतई नहीं सोना है।
@ दिन में सोने से डिप्रेशन आता है।
@ सन्तुलित भोजन वह भी स्न्नान, ध्यान
के बाद, ही ग्रहण करें।
@ तनाव मुक्त जीवन,
@ सकारात्मक सोच
@ दशरथ रूपी शरीर की प्रतिदिन
कसरत यानि रेगुलर एकस्रसाइज़ कर
इसे थकाएं। क्योंकि रावण रचित ग्रन्थ अर्क प्रकाश के मुताबिक शरीर को जितना थकाएँगे यह उतना ही आराम देगा।
@ कसरत शरीर में व्यतिकरण (इंटरफोरान्स) को बंनाने में सहायक होता है।
व्यतिकरण एक ऐसा तत्व है जिसे हमारी कोशिकाएं उस स्थिति में मुक्त
(रिलीज) करती है, जब शरीर पर किसी संक्रमण/वायरस का आक्रमण होता है।
रात को आराम करते समय यह
इंटरफोरान्स रिलीज होते हैं।
कैसे कमजोर होती है-इम्युनिटी
सभी के शरीर में श्वेत रक्त कणिकाएं
(व्हाइट ब्लड सेल्सWBC) होती हैं।
इनमें एक श्वेत रक्त कोशिकाओं का एक प्रकार जिसे विज्ञान की भाषा में साइटोटोक्सिस सेल्स
कहते हैं। ये संक्रमण के सम्पर्क में आकर
रसायनिक द्रव्य (परफॉरेन) उसमें छेद कर देता है।
ग्रेजाइम्स उन्हें रिलीज कर नष्ट कर देती है।
इसमें वे भी खत्म हो जाती है।
हम स्वयं सेनापति हैं...
संसार की सबसे शक्तिशाली सेना
हमारे अंदर है। और ये शतकों से एक
युद्ध लड़ती आ रही है। ये सेना है हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली! ये शरीर को रोगजन्तु, बैकटेरिया, वायरस से तो बचाती ही है
साथ ही शरीर के अंदर आने वाले किसी
भी जहरीले पदार्थ से भी बचाती है।
ये प्रणाली हमारे शरीर को फिर से ठीक
होने में भी मदद करती है।
बस थोड़े से नियम धर्म अपनाकर
हम सदैव स्वस्थ्य-प्रसन्न रह सकते हैं।
अमृतम आयुष की क्वाथ को चाय की
तरह बनाकर लेवें यह इम्युनिटी
बढ़ाने में अत्यंत कारगर है।
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