18 पुराणों में से एक भविष्य पुराण
भगवान सूर्यदेव के बारे
में सम्पूर्ण जानकारी दी गई है।
भविष्य पुराण 2000 से ज्यादा
पेजों में, दो खंडों में रचित है।
भगवान श्री कृष्ण द्वारा रचित दुर्लभ आदित्यहृदय स्तोत्र भगवान सूर्य के
श्लोक का बहुत महत्व है…..
आदित्यं च शिवं
विन्द्याच्छिवमादित्य-रुपिणम्।
उभ्योरन्तरं नास्ति,
आदित्यस्य शिवस्य च।।१६।।
अर्थात-
आदित्य यानि सूर्य को ही शिव जानो
और शिवजी को आदित्य रूप जानो।
इन दोनों में कोई अंतर नहीं है। शिव
या सूर्य का ध्यान नहीं करने वाले
लोग सदैव बीमारियों से धिरकर
अनेक जन्म खराब कर लेते हैं।
सम्मान पाने हेतु करें सूर्य का ध्यान….
इश्क ईश्वर से हो या नश्वर से ।
जिसका हर क्षण-हर पल ध्यान बना रहे
वह भी एक उपासना है।
भले ही पत्थर में कुछ नहीं मिलता।
इंसान ने पत्थर को धर्म बना दिया
लेकिन इंसान को इंसान और धार्मिक
नहीं बना सके खेर..
अपनी आस्था का रास्ता बिना वास्ता,
स्वार्थरहित मजबूत होना चाहिए ।
सूर्य साधना भी ऐसी ही है ।
जाने – सूर्य के बारे में रहस्यमयी और
दुर्लभ 108 से ज्यादा बातें...
जो आपको आज तक नहीं मालूम होगा।
【१】संस्कृत भाषा में सूर्य के 108 नाम
है, जिसमें शिवजी नाम 33 बार आया है।
【२】शिवादित्य के सामान अखिल
ब्रह्माण्ड में अन्य कोई ईश्वर नहीं है
और आदित्य के बराबर किसी
की भी गति नहीं है।
【३】विश्व-ब्रह्माण्ड को स्थित करने के कारण श्रीहरि विष्णु भी सूर्य के ध्यान
में मग्न रहते हैं।
संस्कृत के श्लोक का अर्थ यही है।
नास्त्यादित्य- समोदेवो,
नास्त्यादित्य-समागति:!
प्रत्यक्षो भगवान् विष्णुर्-
येन विश्वं प्रतिष्ठितम्!!२८!!
【४】लिंगपुराण और हरिवंशपुराण के अनुसार भगवान कृष्ण भी सूर्य उपासक
थे। इन ग्रंथों में इनकी सभी रानी-पटरानी तथा उनके बच्चों का नाम सहित पूरा
वर्णन है।
【५】भगवान सूर्य ही प्रत्यक्ष देवता है।
सबको दिखाई देने के कारण इनका
एक नाम जगदीश भी बताया है।
【६】सूर्य ही कालचक्र के प्रणेता है
सूर्य से ही दिन-रात पल, मास, पक्ष,
सम्वत्सर, तिथि-वार, ज्योतिष गणना
आदि का विभाजन होता है।
【७】सूर्यदेव सौरमंडल का प्रथम ग्रह है।
【८】सूर्य सम्पूर्ण संसार के प्रकाशक हैं
इनके बिना सन्सार में अन्धकार के
अलावा और कुछ नही है।
【९】 वेद के अंग बृहदारण्यकोपनिषद्-१/३/२८
में समस्त देवी-देवता एवं सप्तर्षियों ने
सूर्य भगवान से इस प्रकार निवेदन किया-
ॐ असतो मा सद्गमय
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मा अमृतम् गमय।।
ॐ शान्ति! शान्ति!! शान्तिः!!!
अर्थात-
मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो।
मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलो।
मुझे मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो॥
ताकि मेरे मन-मस्तिष्क, अन्तर्मन और
आत्मा में परम शांति का अनुभव होने लगे।
【११】धरती, आकाश का समूचा
जीवन सूर्य पर निर्भर है।
【१२】सम्पूर्ण जगत के नेत्र हैं इन्ही के
द्वारा दिन और रात का सृजन होता है।
【१३】सूर्य ही सृष्टि का सबसे अधिक
तथा निरन्तर चलायमान ग्रह है।
【१४】सूर्य को नवग्रहों में राजा की
उपाधि प्राप्त है।
【१५】यह राज्य-सुख सत्ता ऐश्वर्य वैभव अधिकार आदि प्रदान करते हैं।
【१६】सूर्य की उपासना, कृपा से ही
एक सामान्य आदमी मंत्री, महाराजा,
सांसद बन सकता है।
【१७】सूर्य से अधिक निरन्तर साथ रहने
वाला और कोई देवता नही है।
【१८】सूर्योदय के पश्चात लोगों की
दिनचर्या का आरम्भ होता है।
【१९】सूर्यदेव के उदय होने पर सम्पूर्ण
जगत का उदय होता है।
【२०】सूरज के अस्त होने अर्थात
सूर्यास्त होने पर समस्त जगत सो जाता है।
【२१】सूर्य से ही कल और काल एवं
समय का निर्धारण होता है।
【२२】सूर्य आत्माकारक ग्रह है अर्थात
सूर्य हमारी आत्मा ओर ह्रदय की रक्षा
करते है।
सर्व-संकट- दारिद्र्यं,
शत्रुंनाशयनाशय।
सर्वलोकेषु विश्वात्मन्,
सर्वात्मन् सर्वदर्शक
(अदित्यशिव स्त्रोत!!१४!!)
अर्थात-
हे अग्निश्वर! हे शिवस्वरूप सूर्य!
सभी सृष्टि-लोकों में सम्पूर्ण जीव-जगत
में आपका वास है। आप ही सम्पूर्ण
विश्व की आत्मा है।
आप ही सबके अवसाद, मानसिक
तनाव एवं संकट दूर करने वाले हो।
हमारे दुख-दर्द, व्याधियों को दूर कर
हमें तंदरुस्ती प्रदान करो।
【२३】सूर्य! मनुष्य की शारीरिक, मानसिक
एवं बौद्धिक व्याधियाँ दूर करते हैं।
【२४】हृदयरोग, नेत्ररोग, यकृत विकार,
पीलिया, कुष्ठरोग, सफेद दाग, त्वचारोग,
महारोग, बुद्धिमन्दता, डिप्रेशन आदि
बीमारियां सूर्य को परणं करने से मिट
जाती हैं या फिर होती नहीं हैं।
【२५】सूर्य सम्पूर्ण सौर जगत का
आधार स्तम्भ हैं
【२६】सूर्य के बारे में जानने हेतु
जगत-जननी भी आतुर है।
【२७】वेदों के अनुसार सूर्य जगत की
आत्मा है, ब्रह्माण्ड में यही सूर्य नहीं
करोड़ों सूर्य और भी हैं।
【२८】सूर्य का प्रकाश धरती तक आने में
8 मिनिट 17 सेकंड का समय लेता है।
【२९】शास्त्रमतानुसार सूर्य की गति….
नवतिर् योजनं लक्षं, सहस्त्राणि शतानि च।यावद् घटी प्रमाणेन्ताम्, वच्चरति भास्कर:।।अर्थात- भगवान भास्कर सूर्यदेव एक घटी यानि 24 मिनिट में 90+1=91 लाख
योजन की तेज गति से सूरज आकाश में अपने सौरमण्डल के साथ सदैव चलते रहते हैं।
योजन का अर्थ-
करीब 13 किलोमीटर का एक योजन होता है अर्थात 24 मिनिट में सूर्य देव ११८३००००० किलोमीटर चलते हैं।
एक घण्टे में ढाई घड़ी तथा 24 घण्टे में 60 घड़ी होती हैं। यदि एवरेज सूर्योदय से सूर्यास्त का समय भी 12 से 13 घण्टे होता है। यदि गणित फैलाये, तो लगभग
30 घड़ी भी सुबह से शाम तक चले, तो
३०×११८३०००००=३५४९,०००,०००
यानी तीन अरब, 54 करोड़, 90 लाख किलोमीटर आधे दिन मतलब 12 घण्टे में चल लेते हैं। सोचो सन्सार या सृष्टि में सूरज से तेज गति किसी की हो सकती है।
【३०】सूर्य वास्तव में सन्सार का CCTV कैमरा है, जो हमारे अंदर के भी फोटो लेता रहता है।
【३१】हरेक सेकंड में सूर्य का 50 लाख टन वजन कम होता जाता है।
【३२】सूर्य की साथ का क्षेत्रफल धरती के
क्षेत्रफल से 11990 गुना अधिक है
【३३】सूरज का प्रथ्वी से गुरुत्वाकर्षण
28 गुणक ज्यादा है।
【३४】यदि सूर्य के 20 लाख 22 हजार किलोमीटर नजदीक कोई वस्तु आती है,
तो सूर्य अपनी तरफ खींच लेता है।
【३५】सूर्य की किरणों का एक छोटे से
हिस्से के रूप में जो ऊर्जा निस्र्त होती है,
उस ऊर्जा का सही उपयोग केवल हरे-भरे
वृक्ष ही कर सकते हैं।
【३६】यह एक विशालकाय तारा है,
जिसके चारों ओर आठों ग्रह और अनेक उल्काएँ चक्कर लगाती रहती हैं।
【३७】वैज्ञानिक कहते हैं कि यह जलता
हुआ विशाल पिंड या आग का गोला है।
【३८】यदि सूरज को फुटबॉल और गुरु
ग्रह को गोल्फ बॉल मान लिया जाए,
तो धरती का आकार मटर के दाने
बराबर होगा।
【३९】हमारी आकाश-गंगा में करीब
150 अरब तारे हैं और ज्ञात ब्रह्मांड
में हैं ऐसी अरबों आकाश-गंगाएँ।
【४०】सूर्य को आकाशगंगा का एक
चक्कर पूरा करने में 25 करोड़ वर्ष लगते हैं।
【४१】शिवरूपी आदित्य भी आकाश गंगा के केन्द्र की परिक्रमा करता है।
【४२】सूर्य को परिक्रमा करनें में
२२ से २५ करोड़ वर्ष लगते हैं।
【४३】आकाशगंगा की इस पूरी परिक्रमा को एक निहारिका वर्ष भी कहते हैं।
【४४】सूर्य के जन्म के बाद इसने आज
तक 20 बार ही आकाशगंगा का
चक्कर काटा है।
【४५】सूरज के परिक्रमा करने की
गति २५१ किलोमीटर प्रति सेकेंड है।
【४६】इसके अलावा पृथ्वी और अन्य ग्रह
सूरज की परिक्रमा करते हैं।
【४७】सूरज का बाहरी तापमान
5500 डिग्री सेल्सियस होता है।
【४८】1 करोड़, 31 लाख सेल्सियस
सूरज के अंदर का तापमान माना गया है।
【४९】सूरज का द्रव्यमान यानी वजन
1.9891×१०30 किलोग्राम होता है।
【५०】सूर्य हमारे सौर मंडल का सबसे
बड़ा पिंड है और उसका व्यास लगभग
१३ लाख ९० हज़ार किलोमीटर है जो
पृथ्वी से लगभग १०९ गुना अधिक है
【५१】सूर्य ग्रहण के समय इसके अन्तिम
छोर पर सौर ज्वाला दिखाई देती है, जो
कॉरोना संक्रमण जैसे तन्तु होते हैं।
【५२】सूर्य सौरमंडल के केन्द्र में स्थित
एक तारा जिसके चारों तरफ पृथ्वी और सौरमंडल के अन्य अवयव या ग्रह घूमते हैं।
【५३】स्वास्थ्य का दाता सूर्य यह पृथ्वी के जलवायू, मौसम और चराचर प्राणियों की
आत्मा को प्रभावित करता है।
【५४】सभी ग्रहों में सूर्य को सबसे
तेजस्वी और कांतिमय माना जाता है।
सूर्य की ऊर्जा से ही अन्य ग्रह चमकते हैं।
【५५】सृष्टि संचालन में सूर्य का
सर्वाधिक योगदान है।
【५६】सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के
बल पर ही समस्त ग्रह इसकी तरफ
खिंचे रहते हैं अन्यथा सभी अंधकार
में न जाने कहाँ लीन हो जाएँ।
【५७】सूर्य ब्रह्मांड की अपेक्षा एक
छोटा तारा है।
【५८】हर वक्त सूर्य द्वारा छोड़े गए
दस लाख अरब न्यूट्रॉन हमारे शरीर
से गुजर रहे होते हैं।
【५९】सूर्य की मजबूत गुरुत्वाकर्षण
शक्ति विभिन्न कक्षाओं में घूमते हुए
पृथ्वी और अन्य ग्रहों को इसकी
तरफ खींच कर रखती है।
【६०】सूरज के तत्वाधान में है खजाना…
सूर्य की सतह का निर्माण हाइड्रोजन,
हिलियम, लोहा, निकेल, ऑक्सीजन,
सिलिकन, सल्फर, मैग्निसियम,
कार्बन, नियोन, कैल्सियम, क्रोमियम
तत्वों से हुआ है।
【६१】सूरज में क्या-क्या छुपा है-
℃~ 73.46% हाइड्रोजन
℃~ हीलियम – 24.85%
℃~ ऑक्सीजन- 0.77%
℃~ कार्बन- 0.29%
℃~ लौह- 0.16%
℃~ गंधक- 0.12%
℃~ नियॉन- 0.12%
℃~ नाइट्रोजन- 0.09%
℃~ सिलिकॉन- 0.07%
℃~ मैग्नेशियम- 0.05%
पाप न कर भैया….
इस काल के मापक सूर्य और चन्द्र हैं ।
ये दोनों सृष्टि के सीसीटीवी (CCTV)
कैमरे हैं जो हर क्षण,हर पल बिना रुके
सृष्टि के प्रत्येक जीव-,जगत के तथा
हमारे अंदर (मन -आत्मा) तक की दिन
रात, लव,घटी,पल-पल,प्रत्येक क्षण की
रिकॉर्डिंग करके Vedio अपने सुपर कम्प्यूटर महाकाल व महाकाली को
लगातार भेज रहे हैं । यहीं सबका डाटा एकत्रित हो रहा है ।
इसी के अनुसार हरेक जीव का
भाग्य-दुर्भाग्य योनि,कर्म, जीवन-मृत्यु
का निर्धारण निश्चित होता है ।
काल को चलाने वाला कलाकार केवल महाकाल ही है । यही काल (मृत्यु ओर समय) भाग्य-दुर्भाग्य का कारक औऱ कारण भी है ।
महाविद्यासूत्र 1/7 के अनुसार काल को ही स्त्रीलिंग में काली कहते हैं ।
जिनके गले मे 12 नरमुंडों की माला
अर्थात समय की अति सूक्ष्म गणना
करने वाले बारह सुपर कम्प्यूटर
इसमें 12 राशियों, 27 नक्षत्रों,
नवग्रहों का डाटा समाहित होता रहता है।
सूर्य नाड़ी,
सूर्य स्तन,
क्या है।
सूर्य अर्ध्य के फायदे,
सूर्य ग्रहण,
सूर्य से सम्पदा कैसे मिले
आदि की जानकारी अगले लेख में पढ़े।
सूर्य का प्रकोप हैं कोरोना वायरस…
माथे पर चन्दन लगाने से होते हैं-
१०८ फायदे…
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