मानव शरीर में कफ क्यों और कैसे बनता है?

फेफड़ों के लिए अत्यंत हानिकारक हैं-रसायनिक कफ सिरप। क्यों कि यह कफ को पूरी तरह सुखा देते हैं।

कफ का होना भी बहुत जरूरी है-

कफ शरीर में चिकनाहट या लुब्रीकेंट

बनाये रखता है। कफ को विषम होने

बचाना स्वास्थ्यवर्धक होता है।

वैज्ञानिकों ने बताया कि-

भविष्य में हमें केमिकल युक्त दवाओं को लेने

से बचना चाहिए। किसी भी तरह की खांसी

अथवा छोटी-मोटी तकलीफों को ठीक करने के

लिए के लिए घरेलू मसालों, आयुर्वेदिक ओषधियों

को लेने की सलाह दी है।

देश-विदेश के अनेक शरीर वैज्ञानिकों की

फिलहाल अभी आगे की खोज जारी है।

त्रिदोषनाशक आयुर्वेद अपनाएं…..

भविष्य में तन-मन और अन्तर्मन को शक्तिशाली

बनाए रखने के लिए मजबूत इम्युनिटी आवश्यक है। बढ़ते प्रदूषण, जहरीली वायु की वजह से भविष्य में बीमारियों में भयंकर बढोत्तरी होगी। कोरोना संक्रमण हो अथवा किसी भी प्रकार से रोगों से बचाने में भारत की चिकित्सा पध्दति आयुर्वेद के नियमों को अपनाने की शुरुआत होना चाहिए।

इसे पूर्णतः हानिरहित उपाय इलाज बताया है। विश्व के कुछ एकांतवासी वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में इंसानो की कोशिकाओं पर एलोपैथिक कफ सिरप और अंग्रेजी दवाओं का परीक्षण करने पर पता चला कि- इन दवाओं में उपलब्ध एक रसायन (केमिकल) से शरीर में कोरोना का वायरस और अधिक गति से फैला।

विषैले रसायनों का रहस्य…

एक शरीर साइंटिस्ट शोध टीम के प्रमुख डॉ ब्रायन सोइलेट ने खोजा कि कफ सीरप में मौजूद डेक्सट्रोमिथोंर्फ़न रसायन या केमिकल कोरोना वायरस से संक्रमित रोगियों के लिए भयंकर खतरनाक हो सकता है।

डॉ ब्रायन ने बहुत भावुक होकर कहा है कि- हम बार-बार, हर बार, सब प्रकार से सबको समझाइश देते रहे हैं कि हमें प्राकृतिक प्रदत्त परम्पराओं को शीघ्रता से हर हाल में समझना होगा….. अन्यथा दुनिया के अधिकांश लोग गरीबी रेखा से भी नीचे जाकर खाने को मोहताज हो जाएंगे।

साइंस मैगजीन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार-शरीर में कफ के सूखने से सांस लेना मुश्किल होने लगता है, इसलिए कफ पूरी तरह सूखना नहीं चाहिए।

कफ सन्तुलित होने से शरीर क्रियाशील बना रह सकता है। भारतीय लोगों को इसकी ज्यादा जानकारी होती है।

कफ सूखने से देह को होने वाली हानि के विषय में आयुर्वेद के 40 से ज्यादा शास्त्रों से ली गई जानकारी पढ़कर औरों को भी साझा करें।

पुरानी खांसी से मुक्ति के लिए लोजेन्ज माल्ट का 3 महीने सेवन करें।

मौसम की मार है-कोरोना वायरस शिशिर ऋतु में बदलते मौसम के साथ सर्दी-खाँसी,जुकाम होना स्वाभाविक है।

लोजेन्ज माल्ट-

19 प्रकार विकारों को दूर करता है..

Lozenge Malt- an Ayurvedic Remedy for Lungs & Respiratory Health

कोरोना का क्लेश इससे छुटकारा पाने के लिए

अमृतम “लोजेन्ज माल्ट” का सेवन करें।

इसमें डाले गए घटक द्रव्य फेफड़ों व छाती के अनेक

अज्ञात और अहित करने वाले 19 (उन्नीस) तरह के श्वांस विकारों को दूर करने में कारगर है।

“लोजेन्ज माल्ट” पूर्णतः शुद्ध हर्बल ओषधियों से बनाया गया है। इसका कोई हानिकारक दुष्प्रभाव या साइड इफ़ेक्ट नहीं है।

साइड बेनिफिट्स अनगिनत हैं।

इसमें मिलाए गए….द्रव्य-घटक

कोरोना वायरस एवं संक्रमण नाशक हैं।

^-त्रिकटु,

^-सौंठ

^-तुलसी

^-कालिमर्च

^-काकड़ासिंगी

^-वनफ़सा

^-पुष्कर मूल

^-हंसराज

^-मुलैठी

^-वासा

^-कटेरी

^-नवसार सत्व

^-पुदीना सत्व

^-हरीतकी मुरब्बा

^-आँवला मुरब्बा

  • से निर्मित “अमृतम” लोजेन्ज माल्टका सेवन करना चाहिए

चमत्कारी फायदे……

यह सर्दी-खाँसी की विकृतियों का नाश कर

फेफड़ों व श्वांस नली की गन्दगी को साफ कर देता है।

छाती में जमा बलगम, कफ निकालने में सहायक है।टफ-कफ की हर्बल मेडिसिन-“अमृतम”

लोजेन्ज माल्ट (Lozenge Malt)

1- सुखी खाँसी

2- कफदार खांसी

3- कुकर खाँसी

4- दमा

5- जुकाम

6- गले की खराश

7- गला रुंध जाना

8- कंठ में सूजन

9- नजला

10- नाक से पानी बहना

11- सर्दी से सिरदर्द

12- आंखों में भारीपन

13- टॉन्सिल की तकलीफ

14- बार-बार छींक आना

15- कफ के कारण सुस्ती रहना

16- श्वांस संस्थान की दुर्बलता

17- फेफड़ों की खराबी

18- छाती में भारीपन

19- श्वांस संबंधी समस्याओं

का समूल नाश करने में उपयोगी है ।

“लोजेन्ज हर्बल माल्ट”

बच्चों,स्त्री-पुरुषों, बड़े-बड़ों सभी उम्र वालों के लिए लाभकारी है। यह घर का डॉक्टर भी है। दादी मां का खजाना है।

उपयोग कैसे करें

एक कप गर्म पानी में 2 से 3 चम्मच लोजेन्ज माल्ट (Lozenge Malt) मिलाकर सुबह खाली पेट चाय की तरह पिये। यदि सर्दी व कफ को मल विसर्जन द्वारा निकालना चाहते हों,तो एक गिलास गर्म दूध के साथ लेवें। इसके नियमित सेवन से पेट साफ रहता है।कफ का बनना भी स्वतः ही बन्द हो जाता है।

कोरोना वायरस आदि संक्रमण मिटाने में भी अत्यंत लाभप्रद है। दमा-श्वांस के पुराने रोगियों को कब

तक लेना चाहिए-

जो लोग हमेशा सर्दी-खाँसी, जुकाम, निमोनिया, गले की खराश से परेशान रहते हों उन्हें कम से कम तीन माह तक दिन में 3 से 4 बार तक लेना चाहिए। सुस्ती-आलस्य से मुक्ती हेतु-रात में खाने से एक घण्टे पहले 2 से 3 चम्मच

“लोजेन्ज माल्ट” ( Lozenge Malt )

Lozenge Malt Ayurvedic Medicine for Corona Virus

गर्म दूध के साथ उपयोग करें।गले की खराब व टॉन्सिल्स में- सुबह नाश्ते के साथ 2 से 3 चम्मच ब्रेड या पराँठे में लगाकर खाएं।

आयुर्वेद के कई ग्रंथों में लिखा है कि-

यदि बहुत लम्बे समय तक यदि सर्दी-,खाँसी जुकाम, निमोनिया बना रहता है,तो जल्दी बुढापा आने के लक्षण हैं। ओनली ऑनलाइन उपलब्ध

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कफ की उत्पत्ति कैसे होती है-

आयुर्वेद के नियमानुसार शरीर में सर्वप्रथम पित्त पनपता है। पित्त हमें जिंदा रखता है और मारता भी है। स्वस्थ्य रहने के लिए पित्त का सम या सन्तुलित होना पहली शर्त है। पपवित्त की अधिक वृद्धि होने से कफ बनने लगता है।

पित्त 5 प्रकार का होता है-

पित्त के बारे में आयुर्वेद के वैज्ञानिक ब्लॉग पढ़ने के लिए amrutampatrika पढ़ें।

पित्त दोष मिटाने के लिए कीलिव स्ट्रांग सिरप

3 महीनने लेवें।

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अमृतम परिवार का आग्रह- कृपया देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वदेशी यानि मेड इन भारत अपनाकर अपनी धरती माँ का सम्मान बढ़ाएं। उन्नति में योगदान देकर कृतार्थ करें।

भारतवासियों से निवेदन…

स्वदेश और स्वदेशी का महत्व-

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मैं भी हजारों लोगों को रोजगार दे सकता हूँ

आत्मनिर्भर बनकर

यह देश है मेरा- मुझे

स्वदेशी अपनाना है। हमारा संकल्प होना चाहिए।

चीन को सबक सिखाने के लिए स्वदेशी अपनाकर उसकी कमर तोड़े। यह हमारे लिए वरदान भी साबित होगा। गैर चाइनीज बाजार खड़ा करने से दूसरे देशों के विकल्प खुद ही आने लगेंगे।

भारत के लोग, व्यापारी, उद्योग पति अभी अनेक row मटेरियल के लिए चीन के भरोसे बैठे हैं। क्योंकि इनका उत्पादन हमारे देश में कम होता है। अगर हम देश में निर्मित वस्तु खरीदेंगे, तो थोड़ा महंगा जरूर पड़ेगा, लेकिन देश का पैसा देश में रहेगा।

मेड इन भारत

खपत बढ़ने पर वही सामान देश में चीन से सस्ता पड़ने लगेगा। हमारा आज का प्रयास भविष्य में सुखद एहसास कराएगा। देश का सामान देश के लोग खरीदेंगे, तो देश के किसान, मजदूरों, मजबूरन के काम आएगा। बेरोजगारी घटने लगेगी। अवसाद डिप्रेशन चिन्ता, तनाव सब मिटने लगेंगे।

कोरोना से बचने का सर्वश्रेष्ठ इलाज है बेहतरीन
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आयुर्वेद की पहचान…
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जड़ीबूटियों के बारे में जाने..
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