सुरक्षित और स्वस्थ्य जीवन के लिए आयुर्वेद से इलाज करें।

◆~ त्रिफला अर्थात ये तीन ओषधि फल

छोटी हरड़ (बड़ी नहीं),

सूखा आंवला कली वाला,

विभितकी फल बड़ा साइज का

(इसे बहेड़ा भी कहते है) तीनों 100–100 ग्राम लेवें। इसमें बहेड़ा की मात्रा कुछ ज्यादा भी ले सकते हैं, क्योंकि बहेड़ा सूखे कफ को ढ़ीला कर फेफड़ों के संक्रमण को मिटाता है।

◆~ अश्वगंधा,

शतावर,

तुलसी, सभी 40–40 ग्राम। आप चाहे, तो 10–10 ग्राम ब्राह्मी, शंखपुष्पी, जटामांसी का चूर्ण भी मिला सकते हैं। यह मनोबल बढ़ाती हैं।

◆~ जीरा, अजवायन, सौंफ, दालचीनी, नागकेशर, धनिया, सौंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल, (त्रिकटु चूर्ण), गिलोय और मुलेठी सभी 20–20 ग्राम।

◆~ लौंग, इलायची, हल्दी सभी 10–10 ग्राम इन सबको साफ करके 24 घण्टे तक हल्की धूप में सुखावें। इसके बाद सबको मिलाकर जौकुट करें और किसी कांच के जार में रखें। यह सर्वश्रेष्ठ अच्छा आयुर्वेदिक काढ़ा बनकर तैयार हो जाएगा।

बाज़ारु काढ़े से बचें-

ऐसा घरेलू काढ़ा बाजार में कोई भी कम्पनी निर्मित करके नहीं दे सकती क्योंकि बाजार में बिकने वाले अधिकांश काढ़े बड़ी हरड़ युक्त ही मिल रहे हैं और बहेड़ा भी गूदे वाला नहीं मिलाते हैं।

छोटी हरड़ बीज रहित होने के कारण इसका भाव 400 से 500 रुपये किलो होता है जबकि बड़ी हरड़ 40 से 50 रुपये किलो आसानी से मिल जाती है। अच्छा बहेड़ा भी महंगा ही होता है।

सेवन करने की विधि-

एक व्यक्ति के लिए एक चम्मच काढ़ा, 5 से 7 मुनक्का, 4 पिंडखजूर या छुआरा रात को किसी मिट्टी के पात्र में 200 ml पानी में गलाने छोड़े। सुबह इसे इतना उबाले कि जल आधे से भी कम रहने पर छान लेवें। तत्पश्चात इसमें हल्का सा सेंधा नमक और लगभग 10 से 15 ग्राम गुड़, 5 बून्द नीबू का रस मिलाकर सुबह खाली पेट गर्म गर्म पियें।

यह काढ़ा अत्यंत लाभकारी इम्युनिटी बूस्टर है। इसे जीवन भर लेते रहने से कभी कोई रोग पैदा ही नहीं होगा। कम से कम तीन माह लेना जरूरी है।

इस काढ़े को 3 वर्ष की आयु के बच्चे से लेकर 70 वर्ष की उम्र के स्त्री-पुरुषों को दिया जा सकता है।

मुनक्का और पिंडखजूर के चमत्कारी फायदे-

मुनक्का को द्राक्षा भी कहते हैं। यह पेट के अंदरूनी तकलीफों को मिटाता है। आंतों को ताकतवर बनाता है। कब्ज का खात्मा कर शरीर में हल्कापन लाता है। मुनक्का हल्का दस्तावर होता है। नया खून बढ़ाने में सहायक है।

पिंडखजुर पेट के अनेक रोगों का नाशक है। खासकर एसिडिटी की समस्या से ग्रस्त लोगों के लिए यह अमृत है।

टी.बी, रक्त पित्त, शरीर या जोड़ों, घुटनों की सूजन एवं फेफड़ों की सूजन दूर करने के लिए यह बहुत ही लाभकारी होता है। यह नेत्र ज्योति भी बढ़ता है।

पिंडखजूर शरीर एवं रस-रक्त नाड़ियों को सुचारू बनाकर शक्ति प्रदान करता है। बुखार के बाद आई कमजोरी, बेचैनी, भूख की कमी, सिर दर्द, बेहोशी, कमजोरी, भ्रम, पेट दर्द, शरीर के जहरीले तत्वों का नाश करता है। शराब के दोषों को दूर करने के लिए इसका प्रयोग अत्यंत लाभकारी होता है। यह दमा, खांसी, बुखार, मूत्र रोग के उपचार के लिए यह बहुत कारगर होता है।

यदि आप किसी कारणवश सभी शुद्ध सामग्री एकत्रित करने में सक्षम नहीं है या समय का आभाव है, तो अमृतम द्वारा निर्मित

आयुष की क्वाथ

ऑनलाइन मंगवा सकते हैं। इसमें आपको मुनक्का, पिंडखजूर, गुड़, सैंधानमक अलग से काढा बनाते वक्त घर पर ही मिलना होगा।

कोरोना का शर्तिया इलाज—

लगभग 55 तरह के संक्रमण से रक्षा करने वाला यह उम्र रोधी ओषधि आयुर्वेद का अमृत है।

बेहतरीन रोगप्रतिरोधक क्षमता तथा शक्ति, स्फूर्ति के लिए आप तीन महीने अमृतम च्यवनप्राश

से दूध के साथ सेवन करें।

कोरोना का रोना—

कोरोना कफ के कारण प्रकट संक्रमण है, पर ये एक सूखा कफ है। हमारे डाक्टर जितनी भी एंटीबायटिक दवाईयां देते हैं, वो कफ को सुखाने के लिए देते है लेकिन ये पहले ही सूखा हुआ कफ है, तो इस पर कोई असर नहीं होता। इसी वजह से कोरोना का कारगर उपाय ढूढ़ पाना असंभव ही होगा। एलोपैथिक चिकित्सा में कफ को सन्तुलित करने अथवा कफ को ढ़ीला या गलाने का कोई उपाय नहीं हैं।

आयुर्वेद में कोरोना जैसे संक्रमण का बहुत ही सहज-सरल सीधा निदान है- आयुर्वेदिक क्वाथ या काढ़ा, जो कि पूर्णतः वैज्ञानिक और असरकारी है।

आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रन्थ भेषजयरत्नावली, भारत भैषज्य एवं भावप्रकाश निघण्टु के हिसाब से प्रत्येक खाद्य पदार्थ के गुण-लाभ, असर बताएं गए है। जैसे हरेक खाद्य वस्तु अपनी प्रकृति के अनुसार या तो कफनाशक यानि कफ को नष्ट करने वाला अथवा कफवर्धक अर्थात कफ को बढाने वाला होता है।

अतः कोरोना संक्रमित मरीज को एकान्तवास यानि एक अलग कमरे में क्वारंटाईन करके त्रिदोषों को सन्तुलित करने वाली देशी जड़ीबूटियों के काढ़े का सेवन कराएं।

अधिक जानकारी के लिए Onashi Nature (P) Limited कम्पनी द्वारा प्रकाशित पुस्तक आयुर्वेद लाइफ स्टाइल आपको सदैव स्वस्थ्य रखने में मदद करेगी-

आयुर्वेदिक काढ़ा तथा अमृतम च्यवनप्राश का नियमित उपयोग कराएं।

अमृतम द्वारा वात-पित्त-कफ को सन्तुलित करने हेतु अलग-अलग क्वाथ निर्मित किये हैं।

पेट में कब्ज न हो इसका विशेष ध्यान रखें। रात में 2 गोली सादे जल जल से 15 दिन लेवें-

भोजन के बाद गुलकन्द का सेवन आपकी बेचैनी कम करेगा। गुलकन्द ह्र्दयगत रोगों में अत्यन्त लाभकारी है।