Category: Amrutam Mythology & Indian Culture

  • महाकाली कलकत्ते वाली

    महाकाली कलकत्ते वाली

       क्यों कहते हैं दुर्गा …. आयुर्वेद ग्रंथो के अनुसार देवी के दुर्गा नाम के सम्बंध में कहा जाता है कि- शरीर रूपी दुर्ग में निवास करने का कारण दुर्गा है। शास्त्रों में लिखा है- दुर्गम नामक दैत्य को मारने के कारण दुर्गा है। तन्त्रचार्य कहते हैं- मनुष्य के लिए कठिन से कठिन दुर्गम कार्य…

  • हे माँ..तुझे शत-शत नमन

    हे माँ..तुझे शत-शत नमन

    भुवनेश्वरी सहिंता में कहा गया है- यथा वेदों …..तद्वतसप्तशती स्मृता वेद की तरह दुर्गा सप्तशती भी अनादि है अपौरुषेय है। मार्कंड़य पुराण के अंतर्गत होते हुए भी ऋषि मार्केंडेय इसके रचनाकार न होकर मन्त्रद्रष्टा ऋषि हैं। उन्होंने अपने ध्यान-साधना में देवी के जिन रूपों और चरित्रों का साक्षत्कार किया वही इसमें वर्णित है। माँ शक्ति के…

  • नवरात्रि पर दिलचस्प दुर्लभ जानकारी

    नवरात्रि पर दिलचस्प दुर्लभ जानकारी

    शिव हो या शिवा खोजने से नहीं, खो-जाने से मिलते हैं। सन्सार में केवल पूर्ण है, तो केवल मां ही है। मां में जगत बसता है। माँ सदा से ही पूर्ण है। भारतीय संस्कृति के अनुसार हर महीने पूर्णिमा तिथि आती है। शास्त्रों में देवी दुर्गा शक्ति न स्त्रीलिंग है न पुरुष है और नाहीं नपुंसक है। मां भगवती को हम…

  • नवरात्रि में घटस्थापन कैसे करें

    नवरात्रि में घटस्थापन कैसे करें

    विभिन्न कामनाओं के लिए कलश स्थापना और अनुष्ठान सम्बन्धी वैदिक नियम….. एक बार यह नियम-विधान अपनाकर देखें। जीवन चमत्कारी होने लगेगा। इस लेख को तैयार करने में 55 से अधिक पुराने ग्रंथो का अवलोकन तथा अध्ययन किया है।   महाविद्या सूत्र और भुवनेश्वरी सहिंता आदि ग्रंथों के अनुसार नवरात्रि में दुर्गापाठ के समय कलश स्थापना और अखण्ड ज्योत का विशेष महत्व…

  • दुर्गा शप्तशती रहस्य के अनुसार शरीर की रचना

    दुर्गा शप्तशती रहस्य के अनुसार शरीर की रचना

      जाने तन के वह वैदिक भाषा में अठ्ठारह अंग जो बहुत ही महत्वपूर्ण हैं….. इन्टरनेट पर यह अदभुत, दुर्लभ और दिलचस्प जानकारी पहली बार आप पढ़कर रोमांचित हो जाएंगे। इस विशेष लेख में वेद व संस्कृत भाषा के बहुत ही कठिन शब्दों को सरल भाषा में लिखने का विनम्र प्रयत्न किया है। लेख मनमाफिक लगे, तो अपने कमेंट्स…

  • जानिए स्वस्तिक के बारे में दिलचस्प बातें

    जानिए स्वस्तिक के बारे में दिलचस्प बातें

    स्वस्तिक हिन्दू धर्म का अतिगूढ अर्थ वाला प्रतीक चिन्ह है… सनातन धर्म के दो मूल आधार प्रतीक चिन्ह हैं…!!ॐ!! और स्वस्तिक। ये दोनों मंगलकारक हैं। हिन्दू धर्म के प्रत्येक शुभ कार्यों में बाधाओं को दूर करने के लिए श्रीगणेश का आव्हान कर उनके निवास का प्रतीक स्वस्तिक बनाते हैं। स्वस्तिक हरेक मङ्गल कार्य में हर स्थान पर कल्याण का…

  • हर-हर-हर महादेव

    हर-हर-हर महादेव

    ★★ॐ★★★             !!हर-हर-हर महादेव!! धिक्कार है….धिक्कार है! शिवमहापुराण के अध्याय २३ में भस्म, त्रिपुण्ड के श्लोक का उल्लेख “भगवान विष्णु” ने स्वयं किया है- धिम्भस्म रहितं भालं, धिग्ग्राम-मशिवलय। धिगनीशार्चनं जन्म, धिग्विद्या-मशिवा-श्रया !!४५!! अर्थात- हिंदुओं के उस मस्तिष्क को धिक्कार है, जो भस्म रहितं हैं, अर्थात जो लोग अपने माथे पर त्रिपुण्ड नहीं लगाते। ऐसे लोग हमेशा रोग-भोग के पाप और तीन तरह…

  • गुरुपूर्णिमा को करें- श्रीगुरुगीता का पाठ, तो मिल जाएंगे सारे ठाठ-वाट और राज्य-पाठ

    गुरुपूर्णिमा को करें- श्रीगुरुगीता का पाठ, तो मिल जाएंगे सारे ठाठ-वाट और राज्य-पाठ

                   ★★★ ॐ ★★★   हर पल आपके साथ हैं हम…. सदगुरु द्वारा प्रदत्त गुरुमन्त्र के जाप, अभ्यास और दृढ़ निश्चय से मूर्च्छा-भ्रम टूटकर जागरूकता एवं सकंल्प शक्ति बढ़ जाती है। गुरु साधना से सन्सार का समस्त कष्ट-क्लेश, भय-भ्रम, शंका-कुशंका तथा डर मिटकर ‘सर‘ हल्का होने लगता है। सप्तविकार दूर…

  • सदगुरू क्यों जरूरी है। बिना गुरु के मानव जीवन अधूरा या व्यर्थ क्यों है। इस लेख का 1-1 शब्द गुरु के गुप्त रहस्यों से भरा है

    सदगुरू क्यों जरूरी है। बिना गुरु के मानव जीवन अधूरा या व्यर्थ क्यों है। इस लेख का 1-1 शब्द गुरु के गुप्त रहस्यों से भरा है

                     ★★★’ॐ’★★★                !!गुरु पूर्णिमा पर विशेष!!   सुमिरन मेरा गुरु करे, मैं पाया विश्राम…. परम गुरु भक्त “परमहँस सन्त मलूकदास” के मुताबिक “प्रकटे आपे आप”……. यह सब सदगुरू के प्रति गहरी निष्ठा, श्रद्धा और गुरुमन्त्र के जाप से ही सम्भव है। इसलिए सदगुरु…

  • हेमकुण्ड साहिब के बारे में एक अत्यंत मार्मिक कथा। जिसे पढ़कर…..आँखे नम – तो हो ही जाएंगी

    हेमकुण्ड साहिब के बारे में एक अत्यंत मार्मिक कथा। जिसे पढ़कर…..आँखे नम – तो हो ही जाएंगी

    सदगुरु मैं तेरी पतंग,  हवा बिच उड़ती जावां रे…..   ¶¶-  सन 1930 में खोजा गया था….. हेमकुण्ड साहिब गुरुद्वारा   ¶¶–  कैसे हुई खोज? गुरुगोविन्द सिंह जी के पूर्व जन्म की अचंभित हो जाएंगे, यह जानकर कि..         “गुरुगोविन्दसिंह जी” के परिवार के त्याग की वजह से दुनिया के 108 गुरुद्वारे 300 साल…