क्यों है मेरा भारत महान….?
दुनिया में ये सब मिलना दुर्लभ है…..
भारत की ●दवाई, ●बाई, ●दाई, ●नाई,
● लाई (मुरमुरा) ●तालाबों की काई,
● गणित की इकाई, दहाई,
●शादी से पहले आशनाई,
●सगाई, ●दूध की मलाई, ●हलवाई,
●पुताई, ●ब्याही, ●तरकाई,
●ठगियाई, ●विदाई, ●जमाई,
हमारे भिण्ड, मुरैना, ग्वालियर में बात-बात
पर हाथापाई, दमन्गाई
●पराई के कारण लड़ाई,
●पिटाई, ●कुटाई, ●सुताई, ●ठुकाई,
●जुदाई, ●जेल से रिहाई, ●पुरानीआनापाई
●दर्द के बाद सिकाई, ●परोसाई,
बुंदेलखंड के गांव में हमाई-तुम्हाई,
●कमाई, ●दुहाई, ●रजाई, ●मताई (माँ),
●भौजाई, ●लुगाई की रुसवाई,
●ताई, ●राई (सरसों), ●बीपी हाई
और ●शिरडी के साईं जगत प्रसिद्ध हैं।
इनमें से अनेक शब्द दुनिया के किसी
शब्दकोश में नहीं मिलते।
क्या नहीं है हमारे देश में…
भारत की भिन्न-भिन्न विशेषतायें….
¶ देश का बना, चना बुद्धि, बलदायक है।
¶ देश की सब्जी, सबके जी में बसी हुई हैं।
¶ भारत के मसाले मुख के ताले खोल देते हैं।
¶ धरती माँ प्रदत्त चावल बल वृद्धिदाता हैं।
¶ बूटियां रोगी की डूबती लुटिया बचाती हैं।
¶ कर्म करो और कोई फल खा लो, इसलिए
फल की चिन्ता न करने पर जोर दिया है।
¶ कभी-कभी जले पर नमक छिड़कने के
लिए टाटा, पतंजलि जैसी स्वदेशी कम्पनियों
के उत्पादों का उपयोग कर सकते हैं।
¶ हिंदुस्तानी कपड़ा विश्वविख्यात है,
इसमें कोई लफड़ा नहीं है।
¶ भारत की शक्कर में नींबू मिलाकर पीने
से चक्कर, उल्टी आदि रुक जाते हैं।
¶ भारतीय गुड़ गुणों की खान है।
¶ कहीं-कहीं नीम हकीम खतरे की जान है।
¶ यहां की दाल, बेमिसाल होती हैं।
¶ मीठे गन्ना ने कइयों को धन्ना सेठ बना दिया।
वे पेट कम करने, मोटापा घटाने के लिए विदेशी
दवाओं के अधीन हैं।
¶ भारत का आलू इतना चालू है कि इसे व्रत में,
अकेले या किसी भी सब्जी के साथ बनाकर
खाया जा सकता है। देश का दमआलू भी प्रसिद्ध है।
जिस भूमि में ●पीपल, ●तुलसी, ●बरगद,
●आंवला पूज्यनीय हो उस देेेश को आत्मनिर्भर
बनने में बहुत वक्त नहीं लगेगा।
अमृतम परिवार इस विश्वास के साथ
सभी देशवासियों, ग्रामवासियों
धरती के सपूतों को आत्मनिर्भर होने
का आव्हान करता है।
अमृतम-रोगों का काम खत्म
करने के लिए हम भी कोशिश,
प्रयास और प्रार्थना कर रहे हैं।
आत्मनिर्भरता से अब गांवों में ही बढ़ाने
होंगे रोजगार के अवसर–
भारत गांव का देश है। पूर्व प्रधानमंत्री
चौधरी चरणसिंह कहा करते थे कि देश की
तरक्की का रास्ता गांव के खेत-खलिहानों से
होकर गुजरता है।
पूर्व पीएम चंद्रशेखर ने कहा था कि-ज्यादा
शहरीकरण की चमक तन को तबाह कर
मन कमजोर कर देगी। असल में फसल की
ही आमदनी से ही आदमी ताकतवर और
तन्दरुस्त बन सकता है।
श्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों को प्रेरित किया
कि अपने खेत की मेढों यानि बाउंड्री पर
आम, सागौन, अमरूद, गूलर, पीपल,
कचनार, जामुन, बादाम, अर्जुन, चन्दन
आदि के वृक्ष लगाएं। ये छाव, हरियाली और
खुशहाली दोनो देंगे।
हरियाली से खाली जेब भर जाती है।
चेहरे पर लाली, मुस्कराहट आती है।
अगर खाली बैठे हो, तो वृक्ष लगाएं।
बुद्धि को गंदी नाली बनाने से बचाएं।
गिलोय, शतावर, अपराजिता की बेल लगाएं।
किसान ही कायापलट कर सकते हैं देश का…
यह बात पूरी दुनिया मानती है कि
ग्रामीण भारत के लोग बहुत परिश्रमी,
मेहनती होते हैं।
बुद्धिमता में भी इनका कोई सानी नहीं हैं।
इन्ही की दम पर भारतीय संस्कृति जीवित है।
शहरों में संस्कार का आकार भले ही छोटा
हो गया है, लेकिन गांव में आज भी सामंजस्य बना हुआ है।
केवल स्वदेशी अपनाओ-गांव-देश को आगे बढ़ाओ….
सिखाना अब जग को जरूरी है,
किसी के न नोकर होना है।
मेरे देश की धरती उर्वरक है,
मेरी माटी में टनों सोना है।।
देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए
मनोवैज्ञानिक सलाहकारों से विशेष
मदद ली जा सकती है।
रिक्त भूमि में गिलोय, शतावरी, मधुमालिनी
की बेल और मेढों पर पेड़ों को लगाएं।
गिलोय की बेल बरसात के दिनों में
वृक्षों का श्रृंगार करती है।
हरे-भरे वृक्ष जिंदगी हरी-भरी कर देते हैं।
श्री हरि, हर हर महादेव हों या
महाकाली ये हरियाली में ही निवास करते हैं।
युवाओं से विनम्र आग्रह-
पेड़-पौधे धरा का आभूषण है।
ये धरती के वस्त्र हैं और सम्पूर्ण
जीव-जगत के लिए स्वस्थ्य रहने की
ढाल है। वृक्ष पर्यावरण तथा मौसम को
हमारे लिए जीने का जरिया बनाते हैं।
इसलिए युवा वर्ग भी ब्रा पर कम वृक्ष पर
ज्यादा ध्यान दे।
खूबसूरती बढ़ाने के लिए इस ब्लॉग पर
बुद्धि डालकर विवेक वर्द्धन करें….
https://amrutampatrika.com/
प्रेमपत्र की जगह बेलपत्र का उपयोग
जीवन की दिशा-दशा बदल सकता है।
खाली जमीन में पेड़ लगाएं, जो
भविष्य में वृक्षरोपण रोजगार का बहुत
बड़ा हब या साधन बन सकता है।
प्यार-व्यार में धोखा खाने या देने के बाद
डिप्रेशन की व्यवस्था बाबा विश्वनाथ ने
कर रखी है।
अतः डिप्रेशन के ऑपरेशन करने के लिए
नीचे लिंक क्लिक कर जाने
डिप्रेशन मिटाने का उपाय…
https://amrutampatrika.com/
आयुर्वेदिक ओषधियाँ भी तन-मन, अन्तर्मन
और अन्तरात्मा की रक्षक हैं। अतः पर्यावरण
सृष्टि का आवरण और आकर्षण है। हमें हेल्दी,
बने रहने तथा इम्युनिटी बढ़ाने के लिए हर हाल
में पर्यावरण को सुगन्धित रखना चाहिए।
अमृतम परिवार भी आयुर्वेद की आधुनिक
चिकित्सा पध्दति के साथ आपके संग प्रयासरत है।
अल्लाह की आत्मा प्रसन्नता हेतु
आचरण और पर्यावरण
की पवित्रता जरूरी है।
अमॄतम पत्रिका सर्च कर 2500 से ज्यादा
मन मस्त कर देने वाले ब्लॉग पढ़े-
सफलता पाने के लिए शिव की शरण आओ।
अपने माथे-मस्तिष्क पर तिलक या त्रिपुण्ड लगाकर
अपनी गरीबी को मिटा सकते हैं।
चन्दन के 108 फायदे जानने के लिए
नीचे की लिंक क्लिक करके 10000 दस
हजार शब्दों का यह वैदिक, वैज्ञानिक लेख
जरूर पढ़ें-
https://amrutampatrika.com/
पुराने वैदिक ग्रंथो का अध्ययन अत्यन्त
उन्नतिकारक है-
https://amrutampatrika.com/
अपने पित्तदोष को जड़ से कैसे मिटायें।
जाने पित्तदोष क्या होता है-
Leave a Reply