Month: June 2019
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स्त्रियों का धर्म क्या है.. जाने पुराणों से
कृपया स्त्रियां ध्यान देवें इस ब्लॉग में आपको यह जानकर यह आश्चर्य होगा कि महिलाओ को कभी हवन में आहुति क्यों नहीं डालना चाहिए? एक बात और ध्यान रखें कि — कभी अकेले भी स्त्रियों को हवन भी नहीं करना चाहिए, ऐसा न करने का कारण नीचे पढ़े… इससे बहुत दुःख-दरिद्रता बढ़ती है….. यह गुरु वचन है, इसे नकारें नहीं। वेदोक्तं वचनं…
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कैसे करें-कालसर्प का उपचार
कैसे करें-कालसर्प का उपचार ऐसी मान्यता है कि- कालसर्प दोष…. वाले जातक या व्यक्ति बहुत दुर्भाग्यशाली होते हैं। कालसर्प से पीड़ित प्राणी जीवन में इतनी ठोकर खाते हैं कि… एक दिन वे स्वयं ठाकुरजी बनकर इस जीव-जगत का कल्याण करने लग जाते हैं। एक खतरनाक दुर्भाग्य दोष- कालसर्प दोष से दुखी व्यक्ति का भाग्य कभी साथ नहीं…
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पुराने समय में रोग रहित रखने वाली…. बुजुर्गों की बातें
रोग रहित रहने के लिए एक कहावत है कि…… आंता-तीता दांता नोन, पेट भरन को तीन ही कोन आंख पानी, काने तेल, कहे घाघ बैदाई गेल। अर्थात – प्रतिदिन शुध्द ताजी हल्का गरम भोजन खाने से, दांतों में प्रतिदिन नमक लगाने से, (क्योंकि दांत हड्डी का एक हिस्सा है, हड्डी को नमक अति आवश्यक है) पेट को…
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शास्त्रों के अनुसार दान किस वस्तु का करना चाहिए……
इस लोक और परलोक में सुख प्राप्ति के लिए “चार दान” श्रेष्ठ बनाएं है – भीतेभ्यश्चाभयं देयं, व्याधितेभ्यस्तथौषधम्। देया विद्याथिने विद्या, देयमन्नं क्षुधातरे।। 1. भयभीत को अभयदान 2. रोगी को औषधिदान 3. विद्यार्थी को विद्यादान 4. और भूखे को अन्नदान। वेद-पुराणों में उपरोक्त 4 दान के अलावा सब व्यर्थ है। इनका कोई फल नहीं मिलता।…
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जीवन को सफल और सुखी बनाने वाली…… बीस सूक्तियां
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.….. …
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झूठ का पुलिंदा हो गया है प्राणी
शिव सहिंता में लिखा है- सत्यं शिव सुंदरम सृष्टि में जो सत्य है, सच्चा है वही शिव है। सच्चाई में ही सुन्दरता है। सत्यं-शिवम-सुंदरम का यही भाव है। कलयुग का कलंक झूठहि लेना, झूठहि देना। झूठहि भोजन, झूठ चबैना।। वर्तमान में अधिकांश प्राणी सब प्रकार से असत्य का ही व्यवहार कर रहे है। इस कलियुग…
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क्या आप सुख-सपन्नता चाहते हो?
सुखी रहने के सूत्र हैं- संसार में ऐसी कोई वस्तु नहीं है जो हमें सदा सुखी रख सके। जब शरीर ही हमें सुख नही देता है, तो अन्य वस्तुओं से, विषयों और भोगों से सुख कैसे पा सकते है। जब हम पूर्णतः स्वास्थ्य नहीं रह सकते तो सुख कैसा?…
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जाने-वे 5 चीजे कभी भी अपवित्र नहीं होती ग्रंथों में इन्हें अपवित्र होने के बाद भी पवित्र बताया है।
मधु यानी शहद अशुद्ध होने के बाद भी पवित्र मन गया है। जाने-क्यों? “भूतेषु-भूतेषु विचित्य धीरा: ” – जैसे एक मधुमक्खी फूलों की क्यारी में जाकर प्रत्येक फूल से केवल उसका रस ग्रहण करती है। फूल का ज्यों…
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विषमता ही विष है- एक व्यंग
जाने- 21 तरह के विष और विषमता के बारे में पहली बार। एक बहुत ही रोचक ब्लॉग ◆ वृद्ध-बुजुर्ग आदमी के लिए युवा यानि जवान पत्नी विष समान हो जाती है। ◆ इश्क में उलझे प्रेमी के लिए यादें विष हो जाती हैं। आगे पढ़ें – कोंन किसके लिए विष है। और कैसे बनती है विष से विषम परिस्थियां जानेंगे…
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वेद-ग्रंथों के अनुसार धर्म क्या है। धर्म को चार पुरुषार्थ में से एक कहा है:
आपको मालूम है कि- इंसान का पहला पुरुषार्थ क्या है- पार्ट -1 【भाग-1】 भगवान विष्णु ने जब सृष्टि रचना कि, तो मानव जाति के सुखी और सम्पन्न जीवन हेतु कुछ नियम-धर्म स्थापित किये थे। जिसमें धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष इन चतुर्थ पुरुषार्थ के विषय में वेद-पुराण, ग्रंथो में इनका विस्तृत वर्णन है। सुखमय जीवन के लिए शास्त्रों में धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष इन चार सिद्धान्तों का…