Month: April 2019
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यकृत (लिवर) की रोगनाशक जड़ीबूटियां
तपती गर्मी में रखे– अपने लिवर का ख्याल प्राचीन काल में पहले आदिवासी एवं गर्मिन क्षेत्रो के निवासी लीबार यानि यकृत की रक्षा हेतु “मकोय एवं पुर्ननवा जैसी जड़ीबूटियों की भाजी (सब्जी) बनाकर भोजन के साथ खाया करते थे। यह पुराने समय से लिवर की प्राकृतिक सर्वोत्तम दवा है। जो सदियों से लिवर को क्रियाशील व मजबूत बनाने…
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श्रीमद्भागवत गीता क्या है-
कौरव 100 भाई थे। उन कौरव भाइयों के नाम इस ब्लॉग में पढ़े। इस लेख में श्रीमद्भागवत गीता के बारे दुर्लभ जानकारियाँ प्रस्तुत हैं प्रेरणादायक ग्रन्थ है श्रीमद्भागवत गीता- भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया है कि विश्वव्यापी चैतन्य सभी प्राणियों में कर्ता और भोक्ता के रूप में ईश्वर ही काम कर रहा है। इसलिए सबसे गहरे…
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नीम की पत्ती कब नहीं खाना चाहिए
नीम के दुष्परिणाम आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथ वैद्य रत्नाकर एवं 18 पुराणों में से एक ब्रह्मवैवर्त पुराण, 【ब्रह्म खंडः 27.29-34】 में लिखा है कि षष्ठी तिथि को नीम की पत्ती, निम्बोली, फल या दातुन मुँह में डालने या चबाने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। इस दिन या षष्ठी तिथि को जो लोग नीम का…
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क्लीन स्किन के लिए हर्बल क्लीनअप
कम उम्र में ठहरा हुआ, मुरझाया चेहरा सुन्दरता को कलंकित कर देता है। त्वचा में आये दिन धूल-मिट्टी समाहित होती जाती है, जिससे कम उम्र में ही चेहरा फीका पड़ने लगता है। आत्मविश्वास कमजोर हो जाता है। सुन्दरता भी आत्मबल वृद्धि में सहायक है। एक अद्भुत !!अमृतम!! फेस क्लीनअप आयुर्वेद में चेहरे को चमकदार और …
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पानी बनाये रखता है –जवानी
पानी बनाये रखता है –जवानी क़िस्से हैं पानी के, दुनिया की कहानी से ज्यादा पानी में क्या नहीं है, और भी पानी से ज्यादा दुनिया में पानी का कोई सानी नहीं है। पानी भी एक औषधि है। आज का पिया हुआ जल, कल यानि बुढ़ापे में काम आएगा। आयुर्वेद में पानी की बहुत कहानी लिखी हैं– अंदर अंदर…
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स्वस्थ्य शरीर के लिए- त्रिदोष के प्रकोप से बचे
www.amrutampatrika.com मनुष्य का शरीर विकासमान अमरबेल है। विकास या उन्नति की गति, तभी रुकती है जब आरोग्य के मंदिर का दीपक क्षीण होकर रोग का धुंआ छोड़ने लगता है। स्वस्थ्य शरीर के लिए रोग सबसे बड़ा शत्रु है। स्वस्थ्य शरीर की ऊर्जा अत्यंत वेगवती होती है। मनुष्य की पहली जरूरत है स्वस्थ्य शरीर। भक्त रैदास…
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उत्तरांचल का गुमनाम तीर्थ, जहां बथुए का साग अपने आप उग जाता है।
विदुर कुटी-विदुर की कर्म स्थली यहां बहुत से साधु तपस्या में लीन है। गंगा किनारे बसा यह तीर्थ बहुत रमणीय है बिजनोर उप्र से लगभग 10 से 12 किलोमीटर दूर बसे विदुरकुटी नामक तीर्थ है। बताया जाता है कि महाभारत कालीन परम् विद्वान विदुर जी का जन्म हुआ था। उत्तरांचल विदुर आश्रम में…
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रोग मुक्ति के उपाय
कवियों की क्लेश-रोग नाशक कविताएं चैते गुड़, वैशाखे तेल। महुआ ज्येठ, आषाढ़ में बेल।। सावन साग, न भादों मही। कुँवार करेला, कार्तिक दही।। अगहन जीरा, फुष धना। माघ में मिश्री, फाल्गुन चना।। इन नियमों को माने नहीं। नर नहीं ,तो परे सही।। इसका अर्थ बहुत सीधा है, फिर भी यदि समझ…
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नामर्दी नाशक नुस्खा
नपुंसकता और धातु रोग दूर करने वाला एक प्राचीन ग्रंथ का घरेलू इलाज प्रतिदिन तुलसी बीज जो, पान संग नित्य खाय। रक्त-धातु दोनों बढ़े, नामर्दी मिट जाये। यह प्रयोग तीन माह तक करने से वीर्य ओर स्पर्म की मात्रा में बढ़ोतरी हो जाती है। !!अमृतम!! बी फेराल गोल्ड माल्ट का…
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खुद से प्रेम करो, तो खुदा हो जाओगे
जिसने खुद को पहचाना वह खुदा हो गया अपनी पहचान, अपना आत्मविश्वास हो या फिर आत्मबल “आत्मप्रेम” से ही उपजता है। आप जब तक खुद से प्रेम नहीं करोगे, तब तक दुनिया तुम्हे धकायेगी, ठुकरायेगी। स्वयं की पहचान खो दोगे, तो फिर क्या रखा है जीवन में। आत्मप्रेम सर्वोच्च लक्ष्य होना चाहिए। अपने को पहचानने…