आयुर्वेदिक शास्त्रों में विशेष
निर्देश दिया गया है कि…..
सौ काम छोड़कर खाना,
हजार काम त्यागकर नहाना
और
लाखों कार्य छोड़कर पाखाना।
क्योंकि पेट सफा, तो सब रोग दफा
यानी पाखाना साफ होने से सब बीमारी
मिट जाती है हैं या होती ही नहीं है।
शरीर में कब्ज का कब्जा होने से सारा
जज्बा, आत्मविश्वास नेस्तनाबूद
हो जाता है।
आयुर्वेद के ऋषि-मुनि कहते हैं कि यदि जीवन से राग है, परिवार से प्रेम है, तो तन-मन को रोग-रहित बनाओ। निरोगी होना सबसे बड़ी सम्पदा है।
पेट की तकलीफ की वजह से दुनिया
में 70 फीसदी व्यक्ति के हालात
कुछ इस प्रकार हैं कि….
कोई गुमसुम सा बैठा है,
कोई पेटदर्द का मारा है।
तबियत मत पूछिए किसी से,
हर कोई कब्जियत से हारा है।।
रसेन्द्र सारः सहिंता के अनुसार कब्ज
के कारण 81 प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं।
हरेक बीमारी की शुरुआत कब्ज से ही होती है। पेट की लगातार खराबी से तन-मन, जीवन बर्बाद हो जाता है।
गेस बनी, तो रिलेक्स खत्म…
आयुर्वेद का नियम है…उदर वायु से आयु
क्षीण हो जाती है। गेस विकार शरीर में हाहाकार मचा देते हैं।
पेट में गेस से होते हैं 81 तरह के रोग….
【१】हृदय कमजोर होने लगता है।
【२】सिर में लगातार दर्द बना रहता है
【३】गुदा और गुर्दे के रोग होने लगते हैं।
【४】लिवर, किडनी, आंते और पाचनतंत्र विकृत हो जाते हैं।
【५】पेट में दर्द बना रहता है।
【६】बीपी हाई रहता है
【७】चक्कर आते रहते हैं।
【८】सिर व शरीर भारी रहता है।
【९】हाथ-पैरों में कम्पन्न रहता है
【१०】बुढ़ापा जल्दी आता है।
【११】आंखें कमजोर होने लगती है।
【१२】कब्ज के कारण ही वातरोग पैदा होते हैं
【१३】कफ की शिकायत रहती है।
【१४】खून की कमी होने लगती है।
【१५】भूख लगने बन्द हो जाती है।
【१६】किसी काम में मन नहीं लगता।
【१७】याददाश्त कमजोर होने लगती है।
【१८】मोटापा तेजी से बढ़ने लगता है।
【१९】स्वभाव चिढ़ चिढ़ा हो जाता है।
【२०】रात को नींद नहीं आती।
【२१】 हमेशा चिन्ता बनी रहती है।
【२२】शुक्राणु क्षीण होने लगते हैं।
【२३】महिलाओं को भयानक स्त्रीरोग
घेर लेते हैं। उनकी सुन्दरता कम होने लगती है। चेहरे की चमक मिट जाती है।
【२४】बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता
【२५】केन्सर, मधुमेह, अल्सर, बबासीर,
थायरॉइड आदि ऐसी बहुत सी बीमारियों
का कारण कब्ज है। आयुर्वेद ग्रंथों में
इसका विस्तार से उल्लेख है।
अमृतम के पास इसका शर्तिया उपाय है..
कब्जियत को मिटाने का सर्वश्रेष्ठ और सरल
उपाय है कि…
@ मॉर्निंग वॉक एव व्यायाम नियमित करें।
प्राणायाम की आदत बनाये…
@ रात का खाना भरपेट न लें
@ रात्रि में दही का सेवन कतई न करें।
@ रात्रि में सोते समय और सुबह उठते ही अधिक से अधिक पानी ग्रहण करें,
ताकि आँतों में खुश्की उत्पन्न न हो।
@ सप्ताह में दो बार मूंग की दाल का पानी जरूर पिएं। हो सके, तो मूंग की दाल
में रोटी गलाकर खावें। पेट के रोगों में यह बहुत मुफीद है।
@ अमरूद, गुलकन्द, मुनक्का, किसमिस, अनारदाना और अमलताश गूदा आदि
कब्जनाशक तथा पेट को ठीक रखने वाली प्राकृतिक ओषधियाँ हैं। जिनका ज्यादा से ज्यादा सेवन करने की आदत डालें।
@ रात को फल, जूस, सलाद के सेवन से बचें।
@ अरहर की दाल सबसे ज्यादा कब्ज
पैदा करती है। पेट की बहुत सी बीमारी
इसी की वजह से होती है। इसका उपयोग कम से कम करें। यदि खाने का बहुत मन हो तो अधिक से अधिक जल जरूर पियें।
@ एसिडिटी रहती हो, तो खाने के बाद
एक पान गुलकन्द युक्त चबचबाकर खाएं।
@ सुबह बिना नहाए कुुुछ भी
अन्न न लेवें। अधिकांश लोगों ने यह
आदत बना ली है कि…सुबह चाय के
साथ बिस्किट आदि बिना स्नान के ही
लेते हैं, जो शरीर के लिए बेहद हानिकारक है। दरअसल हमारे शरीर में 70 फीसदी
पानी का हिस्सा है, इसलिए शरीर की पहली
जरूरत पानी है।
@ पानी जवानी बनाये रखता है। पानी से ही
वाणी शुद्ध होती है। बिना नहाए, खाया गया अन्न शरीर में अनेकों दोष एवं रोग उत्पन्न करता है।
@ पेट साफ करने वाले
चूर्ण सनाय तथा शुद्ध जयपाल जैसी
नुकसानदेह ओषधियों से निर्मित होते हैं, जो तत्काल तो लाभ देते हैं, किन्तु बाद में रोगों का कारण बनते हैं। इनसे बचे।
आयुर्वेद से ताल्लुक रखो,
तबियत ठीक रहेगी।
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का अध्ययन करें।
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तीन महीने तक सेवन करें।
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